वरिष्ठ पत्रकार अनिता चौधरी की केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले से खास बातचीत
नई दिल्ली, 27 मार्च 2025, गुरुवार। महाराष्ट्र की सियासत इन दिनों हास्य और विवाद के तीखे तड़के से सराबोर है। स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा की एक टिप्पणी ने न सिर्फ सियासी गलियारों में हलचल मचा दी, बल्कि सड़कों से लेकर विधानसभा तक तूफान खड़ा कर दिया। कुणाल ने हाल ही में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को “गद्दार” कहकर निशाना साधा था, जिसके बाद राज्य में सियासी बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा। इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार अनिता चौधरी ने केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले से खास बातचीत की, जिसमें अठावले ने बेबाकी से अपनी राय रखी।
कुणाल अच्छा कलाकार, लेकिन…
अनिता चौधरी ने जब इस सियासी तूफान का जिक्र छेड़ा, तो रामदास अठावले ने कहा, “कुणाल कामरा एक अच्छा कलाकार है, इसमें कोई शक नहीं। लेकिन व्यक्तिगत रूप से किसी पर टिप्पणी करना ठीक नहीं है। एकनाथ शिंदे जी को ‘गद्दार’ कहना गलत है।” अठावले ने बताया कि इस टिप्पणी से नाराज शिंदे समर्थकों ने कुणाल के स्टूडियो पर हमला तक कर दिया। विधानसभा में भी इसकी गूंज सुनाई दी। अठावले ने सख्त लहजे में कहा, “कुणाल को माफी मांगनी चाहिए। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो पुलिस को उन पर कार्रवाई करनी चाहिए।”
उद्धव-संजय का समर्थन, शिंदे की ईमानदारी
बातचीत में अनिता चौधरी ने दूसरा सवाल दागा। उन्होंने कहा, “आप माफी की बात कर रहे हैं, लेकिन उद्धव ठाकरे और संजय राउत कुणाल के समर्थन में खड़े हैं। उनका कहना है कि गद्दार को गद्दार कहने में क्या गलत है?” इस पर अठावले ने पलटवार करते हुए कहा, “उद्धव ठाकरे और संजय राउत एकनाथ शिंदे को गद्दार कहते हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं मानते। एकनाथ शिंदे बहुत ईमानदार व्यक्ति हैं। महाराष्ट्र में उन्होंने सराहनीय काम किया है।”
अठावले ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा, “उद्धव को कांग्रेस से कभी हाथ नहीं मिलाना चाहिए था। बाला साहेब ठाकरे कांग्रेस को कभी पसंद नहीं करते थे। उद्धव ने खुद गलती की, और अब शिंदे को गद्दार कहना ठीक नहीं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि शिंदे ने बाला साहेब के पदचिन्हों पर चलते हुए बीजेपी के साथ गठबंधन की ईमानदार कोशिश की है।
अभिव्यक्ति की आजादी या कानून का उल्लंघन?
अनिता चौधरी ने कांग्रेस के आरोपों का जिक्र किया, जिसमें कहा गया कि कुणाल पर महाराष्ट्र सरकार की कार्रवाई अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है। इस पर अठावले ने दो टूक जवाब दिया, “कानून का उल्लंघन करने वाले पर कार्रवाई होगी। देश कानून और संविधान के नियमों से चलता है। जब हम विपक्ष में थे और आंदोलन करते थे, तब हमें भी जेल जाना पड़ता था। कानून-व्यवस्था में बाधा डालने वालों को सजा मिलेगी।”
पहले नैतिकता थी, अब संवेदनशीलता बढ़ गई
बातचीत के अंत में अनिता चौधरी ने एक गहरी बात छेड़ी। उन्होंने पूछा, “अटल बिहारी वाजपेयी के जमाने में कॉमेडियन नेता की मिमिक्री करते थे, लोग हंसते थे। लेकिन अब मिमिक्री पर लोग आहत हो जाते हैं। क्या समाज ज्यादा संवेदनशील हो गया है?” इस पर अठावले ने गंभीरता से कहा, “पहले जमाने में नैतिकता थी। अब नैतिकता खत्म होती जा रही है।”
क्या कुणाल माफी मांगेंगे या विवाद और गहराएगा? महाराष्ट्र की सियासत को बेसब्री से इंतजार!
कुणाल कामरा का यह विवाद महज एक टिप्पणी से कहीं आगे निकल चुका है। यह हास्य, सियासत, अभिव्यक्ति और कानून के बीच की महीन रेखा को उजागर करता है। रामदास अठावले की बातों से साफ है कि वे इसे व्यक्तिगत हमले और नैतिकता के नजरिए से देखते हैं, जबकि दूसरी ओर उद्धव ठाकरे और संजय राउत इसे सियासी हथियार बनाने में जुटे हैं। अब सवाल यह है कि क्या कुणाल माफी मांगेंगे, या यह विवाद और गहराएगा? जवाब का इंतजार महाराष्ट्र की सियासत को बेसब्री से है।