देहरादून, 25 मार्च 2025, मंगलवार। हरिद्वार का ऐतिहासिक अर्ध कुंभ मेला 2027 अब ज्यादा दूर नहीं है, और उत्तराखंड सरकार ने इसकी तैयारियों को लेकर कमर कस ली है। 25 मार्च 2025 को देहरादून में राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दीपम सेठ ने एक अहम बैठक कर पुलिस व्यवस्था की बागडोर संभाली। इस बैठक में पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर उन्होंने 2027 के कुंभ मेले को सुरक्षित, सुगम और यादगार बनाने की रूपरेखा तैयार की।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा पहली प्राथमिकता
डीजीपी दीपम सेठ ने बैठक में साफ तौर पर कहा, “उत्तराखंड पुलिस कुंभ मेला 2027 को श्रद्धालुओं के लिए एक बेहतरीन अनुभव बनाने के लिए कटिबद्ध है। हमारा लक्ष्य आधुनिक तकनीक और बेहतर प्रबंधन के जरिए इस धार्मिक आयोजन को नई ऊंचाइयों तक ले जाना है।” उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे एक ठोस कार्ययोजना तैयार करें और उसकी लगातार समीक्षा करते रहें, ताकि हर कदम पर व्यवस्था चाक-चौबंद रहे।
उन्होंने जोर देकर कहा कि पुलिस बल अपनी पूरी तत्परता और संवेदनशीलता के साथ जिम्मेदारियों को निभाएगा। चाहे भीड़ प्रबंधन हो, सुरक्षा व्यवस्था हो या यातायात का सुचारू संचालन—हर पहलू पर बारीकी से काम किया जाएगा।

स्थलीय निरीक्षण और विस्तृत योजनाओं का आह्वान
बैठक में डीजीपी ने कुंभ मेले से जुड़ी सभी पुलिस शाखाओं को मैदानी स्तर पर निरीक्षण करने और अपनी-अपनी विस्तृत कार्ययोजनाएं पेश करने का निर्देश दिया। उनका मानना है कि जमीनी हकीकत को समझे बिना कोई भी योजना अधूरी है। हरिद्वार में लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा होगा, और इसके लिए पहले से ही हर संभावित चुनौती का समाधान तैयार करना जरूरी है।
वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी ने बढ़ाया उत्साह
इस बैठक में राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारी शामिल हुए, जिनमें अपर पुलिस महानिदेशक (अपराध एवं कानून व्यवस्था) वी. मुरूगेशन, पुलिस महानिरीक्षक (अपराध एवं कानून व्यवस्था) नीलेश आनंद भरणे, पुलिस महानिरीक्षक (यातायात) नारायण सिंह नपलच्याल, पुलिस महानिरीक्षक (गढ़वाल परिक्षेत्र) राजीव स्वरूप और पुलिस उप महानिरीक्षक (अपराध एवं कानून व्यवस्था) धीरेंद्र गुंज्याल जैसे नाम शामिल थे। इन अधिकारियों की मौजूदगी ने तैयारियों को और मजबूती दी।
कुंभ मेला 2027: आस्था और व्यवस्था का संगम
हरिद्वार का कुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति और संगठन का अनुपम मेल है। 2027 में होने वाला यह अर्ध कुंभ न केवल उत्तराखंड के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का मौका होगा। डीजीपी दीपम सेठ की अगुवाई में शुरू हुई ये तैयारियां इस बात का संकेत हैं कि राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन इसे ऐतिहासिक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
जैसे-जैसे समय नजदीक आएगा, तैयारियों का यह सिलसिला और तेज होगा। हरिद्वार की पवित्र धरती एक बार फिर श्रद्धालुओं का स्वागत करने को तैयार हो रही है—सुरक्षा के मजबूत कवच और व्यवस्था के सुनहरे रंग के साथ!