कोडाइकनाल, तमिलनाडु, 18 जुलाई 2025: पलानी पर्वत की हरी-भरी वादियों में समुद्र तल से 2,343 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कोडाइकनाल सौर वेधशाला भारत के खगोलीय अनुसंधान का एक अनमोल रत्न है। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) द्वारा संचालित यह वेधशाला सूर्य के रहस्यों को उजागर करने में विश्व स्तर पर अपनी पहचान रखती है।
प्रतिदिन सूर्योदय के साथ यहाँ स्पेक्ट्रो-हीलियोग्राफ के माध्यम से सूर्य की परछाइयों, धब्बों और ज्वालाओं का डेटा संग्रह किया जाता है। यह वेधशाला विश्व की सबसे प्राचीन और निरंतर सौर डेटा संग्रह करने वाली संस्था के रूप में प्रसिद्ध है। यहाँ का सौर चित्र संग्रहालय 1.48 लाख से अधिक चित्रों का खजाना समेटे हुए है, जो खगोल विज्ञान के इतिहास को जीवंत बनाता है।
कोडाइकनाल वेधशाला में स्थापित स्पेक्ट्रोहीलियोग्राफ और सोलर टेलीस्कोप्स आधुनिक शोध में आज भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ विज्ञान, इतिहास और अंतरिक्ष का अनूठा संगम देखने को मिलता है, जो भारत के वैज्ञानिक गौरव को नई ऊंचाइयों तक ले जाता है।
यह वेधशाला न केवल खगोल वैज्ञानिकों के लिए, बल्कि अंतरिक्ष के रहस्यों में रुचि रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत है।