नई दिल्ली, 26 जनवरी 2025, रविवार। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 76वें गणतंत्र दिवस पर देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानियों को नमन किया और सशस्त्र बलों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों, किसानों, मजदूरों और राष्ट्र निर्माण में लगे अन्य वर्गों का धन्यवाद किया।
खरगे ने अपने संदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर जमकर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा द्वारा संविधान पर हमला किया जा रहा है और संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि असहमति का गला घोटना सरकार की एकमात्र नीति बन गई है।
खरगे ने दावा किया कि अनेकता में एकता में विश्वास करने वाले इस देश में ‘एक राष्ट्र, एक पार्टी’ थोपने की प्रवृत्ति दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि आज इस बात पर विचार करने का भी समय है कि देश संविधान पर लगातार हो रहे हमलों का गवाह कैसे बन रहा है।
खरगे ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ दल ने दशकों से सावधानीपूर्वक बनाई गई हमारी संस्थाओं का लगातार पतन किया है और स्वायत्त संस्थानों में राजनीतिक हस्तक्षेप एक आम बात हो गई है। उन्होंने दावा किया कि संस्थाओं की स्वतंत्रता पर नियंत्रण रखने को एक गुण के रूप में देखा जा रहा है और संघवाद को रोजाना कुचला जा रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों और स्वशासी संस्थानों में लगातार घुसपैठ देखी जा रही है, और मीडिया के एक बड़े हिस्से को सत्तारूढ़ दल के प्रचार उपकरण के रूप में बदल दिया गया है।
खरगे ने आरोप लगाया कि पिछले एक दशक के दौरान धार्मिक कट्टरवाद में डूबे एक शातिर, घृणित एजेंडे ने समाज को विभाजित करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है, और जो धर्मनिरपेक्ष हैं उन्हें ‘गोएबल्स की शैली वाले दुष्प्रचार’ के रंग से कलंकित किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि कमजोर वर्गों अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्गों, गरीबों और अल्पसंख्यकों को दोयम दर्जे का नागरिक माना जा रहा है। उनके ख़िलाफ़ अत्याचार और अनसुनी हिंसा एक नियमित घटना बन गई है।
खरगे ने आर्थिक मुद्दों पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि आर्थिक असमानता भयावह अनुपात तक बढ़ गई है, और देश के बहुमूल्य संसाधनों को अरबपति मित्रों को सौंपा जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि देश आर्थिक उथल-पुथल के दौर में जी रहा है, और कर के माध्यम से गरीबों और मध्यम वर्ग की मेहनत की कमाई का एक-एक पैसा हड़प लिया गया है।
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपने संविधान के विचारों और आदर्शों – न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को संरक्षित और संरक्षित करें। हम अपने राष्ट्र निर्माताओं द्वारा अपनाए गए मूल्यों को कायम रखते हैं। संविधान की रक्षा के लिए हर बलिदान देने को तैयार रहें। यही हमारे पूर्वजों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।