अपराध की दृष्टि से बेहद संवेदनशील ऊधमसिंह नगर जिला, पठानकोट बम ब्लास्ट के आतंकी को शरण देने के कारण फिर सुर्खियों में है। शरण लेने वाला आतंकी पाकिस्तान से संचालित आईएसवाईएफ (इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन) संगठन से जुड़ा था। आईएसवाईएफ से पहले आतंकवाद और माओवाद भी तराई में अपनी जमीन तैयार करने की कोशिश कर चुका है लेकिन कोई भी संगठन यहां स्थापित होने में सफल नहीं हो सका।
ऊधमसिंह नगर में कई साल पहले आतंकवादी गतिविधियां चरम पर थी। 2001-02 में दिल्ली पुलिस ने यहां सिंह कॉलोनी में किराए पर रह रहे तीन आतंकियों को ढेर किया था। इससे पहले 90 के दशक में रुद्रपुर शहर में आतंकियों ने अलग-अलग स्थानों पर तीन बम विस्फोट किए थे। इसमें कई लोगों की जान गई और पूरा शहर दहल गया था। फिर माओवाद ने अपने पैर पसारने शुरू किए। माओवादियों ने खटीमा, सितारगंज और दिनेशपुर क्षेत्र में कई गतिविधियों को अंजाम दिया।
यूएसनगर पुलिस ने ही नैनीताल और यूएसनगर के बार्डर पर चलाया जा रहा पहला माओवादी कैंप पकड़ा। फिर जनरैल सिंह भिंडरवाला की खालिस्तान ब्रिगेड 20-20 रिफ्रेंडम मुहिम के समर्थक पूरी तराई में सक्रिय हो गए। खास तौर पर ऊधमसिंह नगर में सोशल मीडिया पर इसके समर्थकों की गतिविधियां अधिक रही। सिडकुल होने से वामपंथी संगठन भी यहां सक्रिय रहे। सक्रियता अधिक होने के कारण खुफिया तंत्र को विशेष तौर पर उग्र वामपंथी संगठन चिह्नित करने पड़े। तब ऐसे 12 संगठन प्रकाश में आए थे। कुछ अन्य संगठन भी खुफिया तंत्र ने चिह्नित किए थे। अब आईएसवाईएफ कनेक्शन ऊधमसिंह नगर जिले में मिला है। जिसे इस संगठन का प्रधान लखवीर सिंह रोडे पाकिस्तान से आईएसआई के संरक्षण में चलाता है।
2004 में माओवाद ने शुरू किए थे पैर पसारने
ऊधमसिंह नगर में 2004 से माओवाद ने पैर पसारने शुरू किए थे। तब खुफिया तंत्र का एक सेल विशेष तौर पर इनकी निगरानी में लगाया गया था। यहां से 15 से अधिक माओवादी पकड़े गए। आज भी यहां कोर्ट में उनकी पेशी होती है जिसके लिए खुफिया विभाग विशेष तौर पर सतर्क रहता है। 2019 में 50 हजार रुपये के इनामी माओवादी भास्कर पांडे को भी यूपी एटीएस ने यहीं से गिरफ्तार किया था। तब कई और माओवादी नामों का भी खुलासा हुआ था। तक खुलासा हुआ था कि बोरा की योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजक्ट पंचेश्वर बांध का विरोध करने की थी।
2018 में खालिस्तान 20-20 रिफ्रेंडम मुहिम की हुई आमद
खालिस्तान बिग्रेड 20-20 रिफ्रेंडम मुहिम, जिसमें सिख समाज के लिए एक अलग राष्ट्र की मांग करते हुए दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को इसमें शामिल करने की मांग थी। 2018 में यहां दस्तक दी। यह जमीनी स्तर पर काफी सक्रिय नहीं रहा लेकिन सोशल मीडिया पर खालिस्तान समर्थक बेहद सक्रिय रहे। कुछ व्हाटसएप ग्रुप भी पुलिस ने पकड़े। सोशल मीडिया पर खालिस्तानी विचारों को अधिक सक्रिय किए जाने पर पुलिस और खुफिया विभाग ने इन्हें चिंहित करने के लिए विशेष अभियान चलाया और 2019-20 में ही करीब 150 समर्थक चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की। इनके डोजियर भी बनाए गए।
नेपाली माओवाद और चीनी भाषा की घुसपैठ का भी रहा खतरा
ऊधमसिंहनगर जिला यूपी के साथ ही नेपाल से भी लगता है। कुमाऊं क्षेत्र के माओवादियों के साथ ही नेपाली माओवाद और चीनी भाषा के घुसपैठ का खतरा भी यहां रहता है। खुफिया विभाग को यहां विशेष सर्तकता बरतनी पड़ती है। दरअसल नेपाल का वर्तमान माओवादी नेतृत्व ब्रिटिश भारत और नेपाल के बीच मार्च 1816 में हुई सुगौली संधि को नहीं मानता है। ऐसे में हिमाचल, उत्तराखंड और दार्जिलिंग के कुछ क्षेत्रों को नेपाली माओवाद ग्रेटर नेपाल के रूप में परिभाषित करता है। चीन भी इस संबंध में नेपाल को अपना नैतिक समर्थन देता है।
यूएसनगर से सटे रामपुर तक लश्कर-ए- मोहम्मद दे चुका है दस्तक
ऊधमसिंह नगर से सटे रामपुर में कुछ समय पूर्व लश्कर-ए- मोहम्मद संगठन भी दस्तक दे चुका है। 2019 में रुड़की रेलवे स्टेशन के अधीक्षक को एक पत्र मिला था जिसमें हरिद्वार समेत दस रेलवे स्टेशनों को बम से उड़ाने की धमकी थी। इसमें रामपुर का रेलवे स्टेशन भी था। लश्कर-ए-मोहम्मद के एरिया कमांडर मैसूर अहमद का इस धमकी भरे पत्र में जिक्र किया गया था। रामपुर स्टेशन रुद्रपुर की सीमा में भी आता था। तब भी रुद्रपुर में तनाव का माहौल बना और पुलिस के साथ खुफिया तंत्र को सतर्क रहने के निर्देश मिले थे। जिससे धमकी देने वाला संगठन अपनी धमकी पर कोई काम नहीं कर सका।
आतंकी कनेक्शन को लेकर तीसरी बार सुर्खियों में आया पंतनगर
देश में आतंकी गतिविधियों में लिप्त लोगों की धरपकड़ में अब तक तीन बार पंतनगर कनेक्शन सामने आ चुका था। तीसरी बार शुक्रवार देर रात पठानकोट बम ब्लास्ट के आरोपियों को शरण देने के आरोप में पंतनगर चर्चा में है। पहली बार पंतनगर कनेक्शन तब सामने आया, जब वर्ष 2008 में रात दो बजे दो कंपनी पीएसी और यूपी पुलिस ने परिसर के फूलबाग सेंटर को छावनी में तब्दील कर दिया था। पुलिस के सर्च ऑपरेशन के दौरान पंतनगर विवि के जलखंड में पंप ऑपरेटर नफीस खान के लालबाग पंप स्थित झोपड़ी से कैमरी रामपुर (यूपी) निवासी एक लाख रुपये के इनामी आतंकी को गिरफ्तार किया गया था। शरण देने के आरोप में नफीस खान को भी धर लिया गया था। लगभग चार घंटे चली इस कार्रवाई की भनक तक परिसर वासियों को नहीं लगी। इसके बाद विवि प्रशासन ने नफीस की झोपड़ी तुड़वा दी थी।
इसके बाद जब वर्ष 2020 में बरेली से आतंकी इनामुल हक को गिरफ्तार किया गया था, तब फिर से पंतनगर चर्चा में आया। जांच में सामने आया था कि इनामुल हक पंतनगर के झा कालोनी में ही पैदा हुआ था और वर्ष 2015 में उसने झा कालोनी मंदिर में मूर्तियां खंडित कर परिसर को दंगे की आग में झोंक दिया था। इसके बाद उसके परिजनों ने उसे कहीं बाहर भेज दिया और वह बरेली से पकड़ा गया। अब तीसरी बार पंतनगर कनेक्शन फिर सामने आया है, जब शुक्रवार की देर रात एसटीएफ व पुलिस ने पठानकोट बम ब्लास्ट के आरोपियों को शरण देने के आरोप में चार लोगों को मय पिस्टल व कार के गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की।