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Thursday, July 24, 2025

केरल की नर्स निमिषा को यमन में फांसी की सजा, पति बोले- ‘वह मेरा प्यार थी, हत्यारी नहीं’

सना, यमन, 10 जुलाई 2025: केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे उनके परिवार और समर्थकों की उम्मीदें धूमिल हो रही हैं। 16 जुलाई 2025 को यमन की जेल में निमिषा को फांसी दी जानी है। उन पर अपने बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है, लेकिन निमिषा के पति टॉमी थॉमस का दावा है कि यह कहानी पूरी तरह से गलत है।

पति की जुबानी: ‘निमिषा निर्दोष है’

केरल के कोट्टायम में रहने वाले टॉमी थॉमस को जब यह खबर मिली कि उनकी पत्नी को ‘पति की हत्या’ के लिए फांसी की सजा दी गई है, तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। टॉमी ने कहा, “मैं ही निमिषा का पति हूं। तलाल उसका पति नहीं, बल्कि एक क्रूर बिजनेस पार्टनर था, जिसने निमिषा का शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया।” टॉमी के मुताबिक, निमिषा 2008 में बेहतर भविष्य की तलाश में यमन गई थीं। 2011 में उनकी शादी टॉमी से हुई, और 2014 में टॉमी अपनी बेटी के साथ केरल लौट आए, लेकिन निमिषा ने यमन में रहकर अपने सपनों को पूरा करने की ठानी।

क्या थी पूरी कहानी?

निमिषा ने यमन में तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर ‘अल अमन मेडिकल क्लिनिक’ शुरू किया। तलाल एक स्थानीय नागरिक था, जिसका साथ यमन में व्यवसाय शुरू करने के लिए जरूरी था। लेकिन निमिषा के वकील के मुताबिक, तलाल ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया और उनका शारीरिक-मानसिक शोषण शुरू कर दिया। निमिषा ने कोर्ट में दावा किया कि वह तलाल को नींद की गोली देकर सिर्फ अपना पासपोर्ट वापस लेना चाहती थीं, लेकिन गलती से डोज ज्यादा हो गई, जिससे तलाल की मौत हो गई।

2017 में तलाल का क्षत-विक्षत शव एक टैंक में मिला। यमन पुलिस ने निमिषा को गिरफ्तार किया, और 2018 में अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। 30 दिसंबर 2024 को यमन के राष्ट्रपति ने इस सजा पर अंतिम मुहर लगा दी।

निमिषा को बचाने की जंग

निमिषा की मां यमन में उनकी जान बचाने के लिए दिन-रात संघर्ष कर रही हैं। ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ ने भी उनके लिए आवाज उठाई है। इस्लामी कानून के तहत ‘दिया’ (ब्लड मनी) का रास्ता बचा है, जिसमें तलाल का परिवार मुआवजा स्वीकार कर सजा माफ कर सकता है। हालांकि, अभी तक परिवार ने मुआवजे के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है।

‘वह मेरी बेटी के लिए जंग लड़ रही थी’

टॉमी का कहना है कि निमिषा अपनी बेटी और परिवार के बेहतर भविष्य के लिए यमन में रुकी थी। “वह एक मेहनती नर्स थी, जिसने अपने सपनों को सच करने की कोशिश की। उसे फंसाया गया है,” टॉमी ने आंसुओं के साथ कहा।

जैसे-जैसे फांसी की तारीख नजदीक आ रही है, निमिषा के परिवार और समर्थकों की उम्मीदें अब केवल एक चमत्कार पर टिकी हैं। क्या ‘दिया’ का रास्ता निमिषा की जिंदगी बचा पाएगा, या यह कहानी एक दुखद अंत की ओर बढ़ रही है? पूरी दुनिया की नजरें अब यमन पर टिकी हैं।

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