लुधियाना/चंडीगढ़, 27 जून 2025। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय महामंत्री तरुण चुग ने आपातकाल की 50वीं बरसी पर लुधियाना में आयोजित जिला गोष्ठी में आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पंजाब में लोकतंत्र का गला घोंट रहे हैं, जो 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा थोपे गए आपातकाल की याद दिलाता है।
चुग ने कहा, “25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने सत्ता की लालसा में संविधान को कुचल दिया था। अनुच्छेद 352 का दुरुपयोग कर लोकतंत्र को तानाशाही में बदल दिया गया। प्रेस की स्वतंत्रता छीनी गई, न्यायपालिका को दबाया गया, और विपक्षी नेताओं को बिना मुकदमे जेल में डाल दिया गया।” उन्होंने बताया कि जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और राजनाथ सिंह जैसे नेताओं को जेल में बंद किया गया, जबकि निष्पक्ष न्यायाधीश जस्टिस एच.आर. खन्ना को उनके फैसले की सजा भुगतनी पड़ी।
केजरीवाल पर ‘डंडा तंत्र’ का आरोप
चुग ने पंजाब की आप सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार चंडीगढ़ से नहीं, बल्कि केजरीवाल के दिल्ली स्थित आवास से उनके करीबियों के इशारे पर चल रही है। उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के नेता बिक्रम मजीठिया की गिरफ्तारी को राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा करार दिया। चुग ने कहा, “केजरीवाल का ‘डंडा तंत्र’ इंदिरा गांधी की तानाशाही का आधुनिक संस्करण है, जिसमें विपक्ष की आवाज को कुचला जाता है।”
कांग्रेस और आप: एक सिक्के के दो पहलू
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए चुग ने कहा कि गाँधी परिवार की परिक्रमा करने वाली कांग्रेस आज भी आपातकाल की मानसिकता से ग्रस्त है। “प्रेस काउंसिल को भंग करना, सोशल मीडिया पर ‘डिजिटल आपातकाल’ थोपना, और झूठ फैलाने वालों को संरक्षण देना—यह सब कांग्रेस की तानाशाही सोच का हिस्सा है।” उन्होंने आप और कांग्रेस को “एक सिक्के के दो पहलू” बताते हुए आरोप लगाया कि दोनों ने मिलकर पंजाब को लूटा और लोकतंत्र को शर्मसार किया।
‘पंजाब की जनता देगी जवाब’
चुग ने दावा किया कि पंजाब की जनता अब आप और कांग्रेस के “झूठ और पाखंड” से तंग आ चुकी है। उन्होंने भविष्यवाणी की कि जल्द ही जनता इन दोनों दलों को पूरी तरह नकार देगी। उन्होंने जोर देकर कहा, “पंजाब के लोग लोकतंत्र के सच्चे पहरेदार हैं और वे तानाशाही स्वीकार नहीं करेंगे।”
इस गोष्ठी में बीजेपी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं ने भी हिस्सा लिया, जिन्होंने चुग के विचारों का समर्थन करते हुए पंजाब में लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा का संकल्प लिया।