नई दिल्ली, 30 जुलाई 2025: भारतीय रेलवे ने दिल्ली-मुंबई मार्ग के मथुरा-कोटा खंड पर स्वदेशी रेल सुरक्षा प्रणाली कवच 4.0 को सफलतापूर्वक लागू कर रेल सुरक्षा के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है। यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस उपलब्धि पर कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप, कवच 4.0 को पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है। इस अत्याधुनिक प्रणाली को रिसर्च डिज़ाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (RDSO) ने जुलाई 2024 में अनुमोदित किया था। कोटा-मथुरा खंड पर कवच 4.0 का कमीशनिंग कम समय में पूरा होना एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो कई विकसित देशों की तुलना में तेजी से हासिल की गई है।”
कवच 4.0 की विशेषताएं
कवच 4.0 एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली है, जिसे सुरक्षा अखंडता स्तर 4 (SIL 4) के उच्चतम मानकों के साथ डिज़ाइन किया गया है। यह प्रणाली ट्रेनों की गति की निगरानी और नियंत्रण कर दुर्घटनाओं को रोकती है। 2015 में शुरू हुआ इसका विकास, 2018 में दक्षिण मध्य रेलवे (SCR) में पहला परिचालन प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद और उन्नत हुआ। मई 2025 तक यह 160 किमी/घंटा की गति के लिए अनुमोदित हो चुकी है।
कवच की कार्यप्रणाली
- RFID टैग: प्रत्येक किलोमीटर और सिग्नल पर लगे टैग ट्रेन की सटीक स्थिति बताते हैं।
- टेलीकॉम टावर: ऑप्टिकल फाइबर और बिजली आपूर्ति के साथ ट्रैक के साथ स्थापित, जो कवच सिस्टम और स्टेशनों के बीच संचार सुनिश्चित करते हैं।
- लोको कवच: लोकोमोटिव में स्थापित, यह ब्रेकिंग सिस्टम के साथ एकीकृत होकर आपात स्थिति में स्वचालित ब्रेक लगाता है।
- स्टेशन कवच: स्टेशनों और ब्लॉक सेक्शनों पर स्थापित, यह सुरक्षित गति और सिग्नलिंग का मार्गदर्शन करता है।
- ऑप्टिकल फाइबर: हाई-स्पीड डेटा संचार के लिए सभी प्रणालियों को जोड़ता है।
कवच की स्थापना में रेल संचालन को बाधित किए बिना जटिल उप-प्रणालियों को एकीकृत किया गया है। यह प्रणाली कोहरे जैसी कम दृश्यता में भी लोको पायलटों को केबिन में डैशबोर्ड के जरिए सिग्नल जानकारी प्रदान करती है, जिससे सिग्नल देखने के लिए बाहर झांकने की जरूरत खत्म हो जाती है।
प्रगति और भविष्य की योजना
भारतीय रेलवे ने 6 वर्षों में देशभर के प्रमुख मार्गों पर कवच 4.0 लागू करने की योजना बनाई है। अब तक 5,856 किमी ऑप्टिकल फाइबर, 619 टेलीकॉम टावर, 708 स्टेशनों, 1,107 लोकोमोटिव, और 4,001 किमी ट्रैकसाइड उपकरण स्थापित किए जा चुके हैं। 30,000 से अधिक कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया गया है, और 17 AICTE-अनुमोदित इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ B.Tech पाठ्यक्रम में कवच को शामिल करने के लिए समझौते किए गए हैं।
रेलवे की प्रतिबद्धता
रेलवे प्रति वर्ष 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक सुरक्षा पर निवेश करता है। कवच 4.0 इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, जो यात्रियों और ट्रेनों की सुरक्षा को और सुदृढ़ करेगी। मथुरा-कोटा खंड पर कवच का शुभारंभ भारतीय रेलवे की तकनीकी प्रगति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।