वाराणसी, 1अक्टूबर । आदि लाटभैरव रामलीला के पांचवें दिन सोमवार को पौराणिक धनेसरा तालाब (धन-धानेश्वर कुंड) पर केवट राम संवाद व राम घण्डईल लीला का प्रसंग हुआ। वनवास काल के दौरान निषादराज से भेंट करने के बाद सरयू नदी पार जाने के लिए श्रीराम के आदेशानुसार निषादराज नदी के तट पर केवट को आवाज देते हैं। निषादराज केवट के आने पर श्रीराम का परिचय करवाते हैं। श्रीराम केवट से सरयू नदी पार जाने के लिए नाव मांगते हैं, वह कहता है कि हे नाथ.. अपने नाव को किनारे तभी लाऊंगा जब आप अपने पैरों को धुलाएंगे क्योंकि मैंने सुना है कि गौतम ऋषि के श्राप से ऋषि पत्नी शिला बन गईं उनको आपने अपने कोमल पैर से स्पर्श कर दिया तो गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या पुन: नारी के रूप में परिवर्तित हो गयीं। हे प्रभु, जब मैं आपका पैर धुलकर चरणामृत ग्रहण नहीं कर लूंगा तब तक मैं आपको अपने नाव पर बैठा नहीं सकता क्योंकि मुझे ऐसा महसूस होता है कि आपके चरणों में जादू है।
इसलिए मैं आपके दोनों चरणों को धुल कर ही नाव में बैठा करके सरयू नदी पार उतारूंगा। केवट के भक्तियुक्त बातों को सुनकर प्रभु श्रीराम कहते हैं कि ‘केवट राम रजायसु पावा, पानी कठौता भरि लै आवा’ श्रीराम ने कहा कि हे केवट… जैसा चाहो तुम वैसा ही करो और मुझे जल्द से जल्द सरयू पार उतार दो। श्रीराम के आज्ञा पाते ही केवट अपने घर से कठौता मंगवाकर उसमें गंगा जल भरके प्रभु श्रीराम के कोमल चरणों को बड़े आनंद के साथ मल-मल कर धोता है और उनका चरणामृत ग्रहण करने के बाद श्रीराम लक्ष्मण सीता को सरयू पार उतार देते हैं। प्रभु श्रीराम सरयू पार उतर कर केवट को नाव उतराई देते हैं। केवट ने श्रीराम से कहा कि हे नाथ, हमें नाव उतराई की आवश्यकता नहीं है। मैंने आपको छोटी सी नदी से पार किया। जब मैं अपने आयु को पूरी करके आपके धाम आऊंगा तो आप हमें भव सागर से पार दीजियेगा। रामलीला का संयोजन समिति के प्रधानमंत्री एडवोकेट कन्हैयालाल यादव, उपाध्यक्ष मनोज यादव, व्यास दयाशंकर त्रिपाठी, केवल कुशवाहा, श्यामसुंदर सिंह, निखिल त्रिपाठी ने किया।
पिछले जन्म में केवट क्षीरसागर में था कछुआ
कहा जाता है कि केवट पूर्व जन्म में क्षीरसागर में एक कछुआ था। वह नारायण की चरण सेवा करना चाहता था, लेकिन लक्ष्मी जी और शेषनाग ने उसे ऐसा करने से रोका था। आज लक्ष्मी सीता जी शेषनाग लक्ष्मण के रूप में हैं और केवट सरयू के किनारे भगवान राम की चरण सेवा कर रहे हैं।