वाराणसी, 24 फरवरी 2025, सोमवार। महाशिवरात्रि यानी कि भगवान शिव का वैवाहिक दिवस। पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव बहुत मुश्किल से विवाह के लिए तैयार हुए। माता पार्वती को इसके लिए हजारों साल तक तपस्या करनी पड़ी। इसके बाद दोनों का विवाह हुआ। ऐसा विवाह फिर ब्रह्मांड में दूसरा किसी का नहीं हुआ। महाशिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ अपने पूरे परिवार के साथ प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं और अपने कल्याणकारी स्वरुप में विराजमान होते हैं। महाशिवरात्रि के दिन काशी में बाबा विश्वनाथ का विवाह होता है। विवाह से पहले काशी में इससे जुड़ी दूसरी रस्में भी निभाई जाती हैं। फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी महाशिवरात्रि पर्व पर शिव-पार्वती विवाह के पूर्व काशी नगरी अपने आराध्य के भक्ति में डूब वैवाहिक परम्पराओं को निभाने में जुट गई है। सोमवार को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत स्मृतिशेष डॉ कुलपति तिवारी के टेढ़ीनीम स्थित आवास पर महादेव के विवाह का लोकाचार शुरू हो गया। पूर्व महंत के पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी की देखरेख में बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा का ब्रह्म मुहूर्त में 11 वैदिक ब्राह्मणों ने विशेष पूजन किया। दोपहर में भोग आरती के बाद बाबा की चल प्रतिमा का खास राजसी श्रृंगार किया गया।
महंत आवास पर शाम को बाबा के रजत विग्रह के समक्ष हल्दी तेल का लोकाचार की परम्परा निभाई गई। इसमें काशीवासियों के साथ ही कुंभ से लौटे साधु सन्यासी भी शामिल हुए। महंत के आवास पर बाबा की पंचबदन प्रतिमा को मेवाड़ से आई हल्दी लगाई गई। पहली बार नागा साधु इस हल्दी की रस्म में शामिल हुए। ये हल्दी श्री निरंजनी पंचायती अखाड़ा के नागा साधु महाराणा प्रताप की धरती मेवाड़ से खुद लेकर आए हैं। अखाड़े के दिगंबर खुशाल भारती ने बताया कि मेवाड़ से हल्दी मंगाकर कुंभ में इसका विधिवत पूजन हुआ। फिर ये हल्दी काशी लाई गई है। आराध्या एकनाथ लिंग महाराज के नेतृत्व में नागा साधु पूर्व महंत के आवास पहुंचकर संध्याबेला में बाबा को हल्दी अर्पण कर 56 भोग लगाया।
इसके पूर्व बसंत पंचमी पर बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ की प्रतिमा के समक्ष तिलकोत्सव की परंपरा का निर्वाह किया गया था। हल्दी की रस्म के लिए गवनहिरयों की टोली महंत आवास पर जुट गई थी। आवास पर मंगल गीतों का गान के बीच बाबा को हल्दी लगाई गई। यह रस्म पूर्व महंत कुलपति तिवारी के गोलोकवास होने के बाद पहली बार उनकी पत्नी मोहिनी देवी के सानिध्य में वंश परंपरानुसार उनके पुत्र खुद पं. वाचस्पति तिवारी ने निभाई। ढोलक की थाप और मंजीरे की खनक के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना के गीत सुबह से महिलाएं गा रही थी। हल्दी के पारंपरिक शिव गीतों में दुल्हे की खूबियों का बखान कर शिवांजलि प्रस्तुत किया गया। वहीं, इन्हीं गीतों के जरिये भूतभावन महादेव को दूल्हन का ख्याल रखने की ताकीद भी दी गई। सायंकाल सांस्कृतिक कार्यक्रम शिवांजलि में कलाकार भजनों की प्रस्तुति दी।
काशी में शिवजी को दामाद के रूप में मान्यता
काशीवासियों के लिए शिवजी केवल देवता नहीं हैं, बल्कि उन्हें दामाद के रूप में देखा जाता है। यह मान्यता इस तथ्य से उपजी है कि शिवजी का विवाह माता पार्वती से हुआ है, जो हिमालयराज की पुत्री हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती को काशी अत्यधिक प्रिय है। इसी कारण से शिवजी को काशी में दामाद का दर्जा दिया गया है। भारतीय संस्कृति में दामाद को पुत्र के समान सम्मान दिया जाता है। बड़े-बुजुर्ग और गृहस्थजन दामाद को सदैव सुखी, प्रसन्न और मंगलमय रहने का आशीर्वाद देते हैं। इसी परंपरा के अनुरूप, काशी के लोग भगवान शिव को भी प्रेमपूर्वक आशीर्वाद देते हैं।
सीईओ ने लिया धाम की तैयारियों का जायजा
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में महाशिवरात्रि पर होने वाली पूजा और आरती की तैयारी के साथ ही धाम को भव्य रूप से सजाने का काम तेज गति से जारी है। मंदिर प्रांगण में चल रही तैयारियों की न्यास के अधिकारी सतत निगरानी कर रहे हैं। मंदिर के सीईओ विश्वभूषण मिश्र और डिप्टी कलेक्टर शंभू शरण ने शनिवार को गेट नंबर- 4 से गंगा द्वार तक तैयारियों का जायजा लिया। सीईओ ने दर्शन पूजन के लिए कतार में लगे श्रद्धालुओं से संवाद कर व्यवस्था के बारे में फीडबैक लिया।
प्रमुख शिव मंदिरों के आसपास व्यवस्था दुरुस्त कराएं : सीडीओ
महाशिवरात्रि की तैयारियों के मद्देनजर सीडीओ हिमांशु नागपाल ने मार्कंडेय महादेव मंदिर, शूलटंकेश्वर मंदिर, रामेश्वर मंदिर, पंचकोशी मार्ग में पड़ने वाले सभी मंदिरों के आसपास व्यवस्थाएं दुरुस्त कराने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी ग्राम पंचायत सचिव, बीडीओ, एडीओ पंचायत के साथ वर्चुअल समीक्षा की। उन्होंने कहा कि इन मंदिरों में समस्त व्यवस्थाएं समय से पूरी कराएं।
महाशिवरात्रि पर कैथी, शूलटंकेश्वर के लिए चलेंगी अतिरिक्त ई-बसें
महाशिवरात्रि और महाकुंभ पलट प्रवाह को देखते हुए मार्कंडेय महादेव कैथी और रोहनिया के शूलटंकेश्वर के लिए अतिरिक्त ई-बसों का संचालन किया जाएगा। इन रूटों पर 10 से 12 फेरों में ई-बसें चलाई जाएंगी। इसके अलावा सिटी की डीजल बसें भी लगाई गई हैं। यातायात दबाव को देखते हुए श्रीकाशी विश्वनाथ और कालभैरव रूट पर ई-बसों का संचालन प्रतिबंधित रहेगा।
कोलकाता से आएगी 20 लाख मदार की माला, भदोही से धतूरा
महाशिवरात्रि पर बाबा को प्रिय वेलपत्र, धतुरा व मदार की माला की काफी मांग होती है। मदार की माला का पूर्वांचल में उत्पादन न होने से व्यापारी कोलकाता से मगाएंगे। बाबा के शृंगार के लिए कोलकाता से 20 लाख से अधिक मदार की माला आएगी। भदोही, मिर्जापुर आदि जिलों से भी बेलपत्र, धतूरा, दुर्वा, कमल, अंगारी, बेर, सरसों के फूल व गेहूं की बालियां आदि मगाए गए हैं।
महाशिवरात्रि से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर में हुआ ये अहम बदलाव
काशी विश्वनाथ मंदिर के सीईओ विश्व भूषण ने बताया है कि महाशिवरात्रि पर प्रातः 3:15 बजे मंगला आरती समाप्त होने के बाद प्रातः 3:30 बजे से मंदिर दर्शनार्थियों के लिए खुल जाएगा। महाशिवरात्रि पर रात्रि में होने वाली चारों पहर की आरती के दौरान भी श्री काशी विश्वनाथ महादेव का झांकी दर्शन सतत चलता रहेगा।
महाशिवरात्रि पर्व पर होने वाली पूजा आरती की समय- सारणी निम्नलिखित है.
मंगला आरतीः प्रातः 2:15 बजे पूजा आरम्भ होगी.प्रातः 3:15 बजे आरती समाप्त होगी.प्रातः 3:30 बजे मंदिर दर्शनार्थियों के लिए खुलेगा।
मध्याहन भोग आरतीः प्रातः 11:40 बजे पूजा आरम्भ होगी। मध्यान्ह् 12:20 बजे पूजा समाप्त होगी।
चारों प्रहर की आरतीः
प्रथम प्रहर- रात्रि 9:30 बजे शंख बजेगा एवं पूजा की तैयारी होगी तथा झांकी दर्शन निरंतर चलता रहेगा। रात्रि 10:00 बजे से आरती प्रारम्भ होकर रात्रि 12:30 बजे समाप्त होगी।
द्वितीय प्रहर- रात्रि 01:30 बजे से आरती प्रारम्भ होकर रात्रि 02:30 बजे समाप्त होगी तथा झांकी दर्शन निरंतर चलता रहेगा।
तृतीय प्रहर- प्रातः 03:30 बजे से आरती प्रारम्भ होकर प्रातः 04:30 बजे समाप्त होगी तथा झांकी दर्शन निरंतर चलता रहेगा।
चतुर्थ प्रहर- प्रातः 05:00 बजे से आरती प्रारम्भ होकर प्रातः 06:15 बजे समाप्त होगी तथा झाँकी दर्शन निरंतर चलता रहेगा।