वाराणसी, 28 जुलाई 2025: सनातन धर्म के दो प्रमुख तीर्थ स्थलों, श्री काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (वाराणसी) और श्री रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु) के बीच पवित्र तीर्थ जल और रेत के आदान-प्रदान की शास्त्रोक्त परंपरा का शुभारंभ आज श्रावण मास के तृतीय सोमवार को श्री काशी विश्वनाथ धाम में आयोजित एक भव्य समारोह में हुआ। इस ऐतिहासिक अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज के त्रिवेणी संगम से लाए गए पवित्र जल और रेत को रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के प्रतिनिधियों को सौंपा।

शास्त्रों में वर्णित परंपरा के अनुसार, त्रिवेणी संगम के जल से श्री रामनाथस्वामी (रामेश्वरम) का अभिषेक और रामेश्वरम के कोडी तीर्थम के जल से श्री काशी विश्वनाथ का अभिषेक अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। इसी तरह, रामेश्वरम सागर तट की रेत को प्रयागराज की संगम रेत के साथ मिलाने का विशेष महत्व है। इस परंपरा को संस्थागत रूप देने के लिए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास और रामेश्वरम के AL. AR. KATTALAI ट्रस्ट ने संयुक्त पहल की।

समारोह में गरिमामय उपस्थिति
समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने त्रिवेणी संगम का जल और रेत रामेश्वरम के प्रतिनिधियों, सी.आर.एम. अरुणाचलम और कोविलूर स्वामी को सौंपा। इस अवसर पर वाराणसी के विधायक, मेयर, प्रमुख सचिव धर्मार्थ कार्य व पर्यटन मुकेश कुमार मेश्राम, मंडलायुक्त एस राजलिंगम, जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार, पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल और काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र सहित अनेक गणमान्य श्रद्धालु उपस्थित रहे।

परंपरा का प्रस्ताव
रामेश्वरम के AL. AR. KATTALAI ट्रस्ट ने 19 जून 2025 को काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को पत्र भेजकर इस परंपरा को पुनर्जनन का प्रस्ताव दिया था। ट्रस्ट ने सुझाव दिया कि काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास त्रिवेणी संगम का जल उपलब्ध कराए, जबकि रामेश्वरम कोडी तीर्थम का जल काशी विश्वनाथ के अभिषेक के लिए भेजा जाएगा। इस प्रस्ताव को 3 जुलाई 2025 को काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने स्वीकार कर लिया।

पवित्र जल संग्रह
27 जुलाई 2025 को प्रयागराज के त्रिवेणी संगम से काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के प्रतिनिधियों ने विधिवत पूजन के साथ पवित्र जल और रेत एकत्र किया। इस कार्यक्रम में प्रयागराज के अपर जिलाधिकारी सत्यम मिश्र, मेला प्राधिकरण के एडीएम विवेक चतुर्वेदी, संत समाज और सैन्य आयुध भंडार के अधिकारी उपस्थित रहे।

आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक
काशी से भेजा गया त्रिवेणी संगम का जल श्रावण मास में श्री रामनाथस्वामी के अभिषेक के लिए उपयोग होगा, जबकि रामेश्वरम से भेजा गया कोडी तीर्थम का जल श्रावण पूर्णिमा को श्री काशी विश्वनाथ के जलाभिषेक के लिए प्रयुक्त होगा। यह पहल काशी, प्रयागराज और रामेश्वरम के बीच आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समन्वय को मजबूत करने का एक अभिनव प्रयास है, जो उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सनातन धर्म की एकता को और सुदृढ़ करेगा।
यह ऐतिहासिक नवाचार सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए गौरव का क्षण है, जो काशी विश्वनाथ धाम की पवित्र भूमि पर अमर हो गया।