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Monday, June 23, 2025

पहलगाम आतंकी हमले के शोक में डूबी काशी: दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा को अर्पित हुई श्रद्धांजलि

वाराणसी, 23 अप्रैल 2025, बुधवार। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस कायराना हमले में 26 से अधिक लोगों की जान चली गई, जिनमें देश-विदेश के पर्यटक और स्थानीय लोग शामिल थे। इस घटना के बाद जहां देशभर में रोष और शोक का माहौल है, वहीं आध्यात्मिक नगरी वाराणसी ने अपने अनूठे अंदाज में मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की। विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की आरती के दौरान हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों ने एकजुट होकर इस दुखद घटना के शिकार लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

शोक में डूबा दशाश्वमेध घाट

दशाश्वमेध घाट, जहां हर शाम मां गंगा की भव्य आरती के साथ भक्ति और उल्लास का माहौल होता है, बुधवार की शाम एक अलग ही दृश्य देखने को मिला। हमेशा शंखनाद, घंटियों और मंत्रोच्चार से गूंजने वाला यह घाट उस शाम शोक और मौन में डूबा था। गंगा सेवा निधि के तत्वावधान में आयोजित इस विशेष श्रद्धांजलि सभा में सात अर्चकों ने मां गंगा में दीपदान कर मृत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना की। हजारों श्रद्धालुओं ने दो मिनट का मौन रखकर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं। इस दौरान घाट पर मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम थीं, और मन में एक ही भाव था—आतंक के खिलाफ एकजुटता और शांति की कामना।

गंगा सेवा निधि का योगदान

गंगा सेवा निधि, जो दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की आरती को विश्व पटल पर ले जाने के लिए जानी जाती है, ने इस दुखद अवसर पर अपनी संवेदनशीलता और सामाजिक जिम्मेदारी का परिचय दिया। संस्था के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने कहा, “पहलगाम में हुआ यह हमला न केवल मानवता पर हमला है, बल्कि हमारे देश की एकता और शांति को चुनौती देने की कायराना कोशिश है। हम मां गंगा के चरणों में दीपदान कर उन सभी आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं, जिन्होंने इस हमले में अपनी जान गंवाई।”

इस अवसर पर गंगा सेवा निधि के कोषाध्यक्ष आशीष तिवारी, संस्थापक सदस्य इंदु शेखर शर्मा, सचिव हनुमान यादव समेत अन्य सदस्यों ने भी इस श्रद्धांजलि सभा में सक्रिय भागीदारी निभाई। हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालुओं और पर्यटकों ने भी इस आयोजन में शामिल होकर अपनी एकजुटता दिखाई।

मां गंगा में दीपदान: आध्यात्मिक श्रद्धांजलि

मां गंगा की आरती का दृश्य हमेशा से ही अलौकिक और भक्तिमय होता है। लेकिन इस बार आरती के बाद सात अर्चकों द्वारा किया गया दीपदान एक मार्मिक और आध्यात्मिक क्षण था। गंगा के शांत जल में तैरते दीपक मानो उन मृत आत्माओं के लिए शांति का संदेश लेकर बह रहे थे। यह दृश्य न केवल भावुक करने वाला था, बल्कि यह भी दर्शाता था कि काशी की आध्यात्मिक शक्ति किस तरह दुख की घड़ी में भी लोगों को एकजुट करती है।

देशभर में रोष और निंदा

पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए इस आतंकी हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली है। इस हमले में दो विदेशी पर्यटकों सहित कई निर्दोष लोगों की जान चली गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “इस जघन्य कृत्य के पीछे जो लोग हैं, उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाएगा।” केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी श्रीनगर पहुंचकर पीड़ितों के ताबूतों पर पुष्पांजलि अर्पित की और सोशल मीडिया पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी इस हमले की निंदा करते हुए कहा, “हमारे मेहमान छुट्टियां मनाने आए थे, लेकिन उन्हें ताबूत में वापस भेजा गया। यह अत्यंत दुखद है।” देशभर में आम लोग, राजनीतिक दल, और सामाजिक संगठन इस हमले के खिलाफ एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।

काशी की संवेदनशीलता और एकजुटता

वाराणसी, जिसे भारत की आध्यात्मिक राजधानी कहा जाता है, हमेशा से ही अपनी संवेदनशीलता और एकजुटता के लिए जानी जाती है। चाहे वह गलवान घाटी के शहीदों को श्रद्धांजलि हो या फिर पहलगाम जैसे आतंकी हमले के पीड़ितों को याद करना, काशी ने हर बार अपने आध्यात्मिक और सामाजिक दायित्व को बखूबी निभाया है। दशाश्वमेध घाट पर आयोजित यह श्रद्धांजलि सभा न केवल मृतकों के प्रति सम्मान का प्रतीक थी, बल्कि यह भी संदेश देती है कि भारत आतंक के सामने कभी नहीं झुकेगा।

आतंक के खिलाफ एकजुटता का संदेश

पहलगाम आतंकी हमले ने एक बार फिर देश को याद दिलाया है कि आतंकवाद एक वैश्विक चुनौती है, जिसका मुकाबला केवल एकजुटता और दृढ़ संकल्प से ही किया जा सकता है। वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर मां गंगा की आरती और दीपदान के माध्यम से दी गई श्रद्धांजलि न केवल शोक का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति हर विपत्ति में एक नई उम्मीद जगाती है।

आज जब देश शोक और रोष से भरा है, काशी की यह पहल एक बार फिर साबित करती है कि हमारी एकता और आस्था ही वह शक्ति है, जो हमें हर मुश्किल घड़ी में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। मां गंगा के तट पर जलते दीपक और श्रद्धालुओं की प्रार्थनाएं उन सभी आत्माओं को शांति प्रदान करें, जिन्होंने इस कायराना हमले में अपनी जान गंवाई।

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