धर्म, कला, संस्कृति और अध्यात्म की प्राचीनतम नगरी काशी विकास के साथ पर्यटन का नया केंद्र बनकर उभरी है। एक वर्ष में ही 11.75 करोड़ पर्यटक व श्रद्धालुओं ने श्री काशी विश्वनाथ का दर्शन-पूजन किया। अब टेंट सिटी, क्रूज संचालन व एयर बैलून की नियमित उड़ान के सहारे बनारस को पर्यटन की अंतरराष्ट्रीय राजधानी बनाने की तैयारी है। अप्रैल से अगस्त के बीच ही काशी में जी-20 सम्मेलन की छह बैठकें प्रस्तावित हैं। जी-20 से जुड़े देशों के विकास व कृषि मंत्रियों का सम्मेलन भी होना है। इससे पर्यटन उद्योग को और मजबूती मिलेगी।
पुरातन नगरी अब पर्यटन के नक्शे पर सितारे की तरह चमक रही है। घाटों के कायाकल्प ने भी देश-दुनिया के पर्यटकों का ध्यान खींचा है। बनारस में भले ही समुद्र, बर्फ या फिर घने जंगल ना हों, लेकिन गंगा के आंचल में बसी इस नगरी में पर्यटकों को वह सब कुछ मिलता है, जो धर्म, संस्कृति व कला के लिहाज से जरूरी है। नवीन कलेवर के साथ शिव की नगरी का कण-कण प्राचीनता के साथ निखर रहा है। काशी तमिल संगमम और काशी नेपाल संगम के जरिये काशी का महत्व देश-दुनिया को बताया जा चुका है
अर्थगंगा की नई कहानी लिख रही हैं उत्तरवाहिनीबनारस में उत्तरवाहिनी गंगा पर्यटन के साथ ही व्यापार के अर्थगंगा की नई कहानी गढ़ रही हैं। दुनिया की सबसे लंबी यात्रा पर निकला गंगा विलास क्रूज विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद बन चुका है। गंगा की लहरों पर लोकार्पण के पहले ही आने वाले दो सालों के लिए कू्रज की बुकिंग फुल हो चुकी है। क्रूज दुनिया भर के सैलानियों को गंगा की लहरों में आध्यात्म के साथ पर्यटन का लुत्फ दिला रहे हैं।हेलिकॉप्टर से करें काशी की सैरनमो घाट पर हेलीपोर्ट बनाया जा रहा है, जहां से दो हेलिकॉप्टर उड़ान भरेंगे। इसके जरिये प्राचीनतम नगरी की सैर की जा सकेगी। साथ ही अयोध्या व प्रयागराज जाकर दर्शन-पूजन किया जा सकेगा। प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक, यह परियोजना स्मार्ट सिटी का हिस्सा है। जल्द ही मूर्त लेगी।