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Thursday, June 26, 2025

माता अन्नपूर्णा के चरणों में काशी: श्रद्धा और भक्ति का संगम

वाराणसी, 5 अप्रैल 2025, शनिवार। चैत्र नवरात्र की अष्टमी तिथि पर काशी का प्राचीन अन्नपूर्णा मंदिर श्रद्धा और भक्ति के रंग में डूब गया। इस पावन दिन माता अन्नपूर्णा अपने भक्तों को महागौरी के दिव्य स्वरूप में दर्शन दिए। श्री काशी विश्वनाथ परिक्षेत्र में स्थित इस ऐतिहासिक मंदिर में सुबह से ही भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। हर कोई माता के चरणों में शीश झुकाने और उनकी कृपा पाने को आतुर दिखाई दिया।

भोर के तीन बजे मंदिर के कपाट खुलते ही माता का पूजन-अर्चन और भव्य आरती का आयोजन हुआ। इसके बाद चार बजे से भक्तों के लिए दर्शन का सिलसिला शुरू हो गया। मंदिर परिसर माँ के जयकारों से गूंज उठा और वातावरण में एक अलौकिक ऊर्जा का संचार होने लगा। भक्त माता के दर्शन कर अभिभूत हो उठे और फेरी लगाकर अपनी मनोकामनाएँ माँगीं। इस दौरान प्रसाद के रूप में चावल के दाने, सिक्के और अन्य वस्तुओं का वितरण हुआ, जिसे भक्तों ने बड़े ही श्रद्धापूर्वक ग्रहण किया।

मंदिर के महंत शंकर पुरी बताते हैं कि यह काशी का अतिप्राचीन अन्नपूर्णा मंदिर है, जहाँ चैत्र नवरात्र की अष्टमी को माता गौरी के रूप में प्रकट होती हैं। वे कहते हैं, “यहाँ आने वाले भक्त 3, 11, 21 या 16 फेरी लगाते हैं और माता उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं।” परंपरा के अनुसार, फेरी लगाने वाली माताएँ और महिलाएँ अपने पल्लू में मौजूद चीज़ों को दान कर देती हैं, जो बाद में भक्तों में प्रसाद के रूप में बाँटा जाता है। मान्यता है कि इस प्रसाद को ग्रहण करने से जीवन के सारे कार्य सिद्ध होते हैं और माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

यह पर्व न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि भक्तों के बीच एकजुटता और दान-पुण्य की भावना को भी मजबूत करता है। माता अन्नपूर्णा का यह मंदिर काशी की सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रमाण है, जहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु माँ के चरणों में अपनी अरदास लेकर आते हैं।

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