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Wednesday, June 18, 2025

कर्नाटक डबल मुआवजा घोटाला: ईडी का बड़ा धमाका, 1.80 करोड़ का टीडीएस जब्त!

नई दिल्ली, 18 जून 2025, बुधवार। कर्नाटक के ‘डबल मुआवजा घोटाले’ में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सनसनीखेज कार्रवाई करते हुए 1.80 करोड़ रुपये के टीडीएस (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) को जब्त कर लिया है। यह घोटाला, जो कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरिया डिवेलपमेंट बोर्ड (KIADB), धारवाड़ में सामने आया, एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है, जिसमें फर्जीवाड़े की परतें खुलकर सामने आई हैं।

घोटाले की चौंकाने वाली कहानी

इस घोटाले का मास्टरमाइंड रिटायर्ड विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी वीडी सज्जन और उनके साथियों ने KIADB व बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से एक गहरी साजिश रची। यह पूरा खेल तकनीक और फर्जी दस्तावेजों के इर्द-गिर्द बुना गया:

  • पहचान की चोरी: असली ज़मीन मालिकों की पहचान चुराकर उनके आधार डिटेल्स में हेरफेर किया गया। इसके आधार पर फर्जी आधार और पैन कार्ड बनाए गए।
  • फर्जी खातों का जाल: इन फर्जी दस्तावेजों के जरिए बैंक खाते खोले गए। फिर, उन ज़मीन मालिकों के नाम पर दोबारा मुआवजा मांगा गया, जो पहले ही पूरा भुगतान ले चुके थे या जिनका देहांत हो चुका था।
  • KIADB की मिलीभगत: अधिकारियों ने इस फर्जीवाड़े को मंजूरी दी, और मुआवजा राशि सीधे फर्जी खातों में ट्रांसफर कर दी गई। इसके बाद रकम को तुरंत नकद निकाल लिया गया।
  • टीडीएस का खेल: नकदी निकासी पर सेक्शन 194-N के तहत टीडीएस काटा गया, जो फर्जी पैन कार्ड्स पर जमा हो गया। ठगी पूरी होने के बाद आधार डिटेल्स को फिर से असली पहचान में बदल दिया गया।
  • ज़मीन मालिकों की भूमिका: कुछ मामलों में असली ज़मीन मालिक भी इस घोटाले में शामिल थे, जिसने इस साजिश को और जटिल बना दिया।

अब तक की कार्रवाई

  • 46 करोड़ का फर्जीवाड़ा: इस घोटाले में अब तक 46 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी निकासी का खुलासा हुआ है।
  • 1.80 करोड़ का टीडीएस जब्त: ईडी ने अवैध मुआवजे से जुड़े 1.80 करोड़ रुपये के टीडीएस को अटैच किया है, जो अपराध की आय का हिस्सा है।
  • 11 करोड़ की संपत्ति कुर्क: इससे पहले ईडी 11 करोड़ रुपये की संपत्तियों को भी जब्त कर चुकी है।
  • जांच जारी: ईडी अब अन्य आरोपियों, मिलीभगत करने वाले अधिकारियों और मनी ट्रेल की गहराई तक जा रही है।

सिस्टम पर सवाल

यह घोटाला सरकारी तंत्र में सेंध का जीता-जागता सबूत है। फर्जी दस्तावेजों और तकनीक के दुरुपयोग से करोड़ों रुपये की ठगी का यह मामला न केवल चौंकाता है, बल्कि सिस्टम की पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी सवाल उठाता है। ईडी की यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा कदम है, और जांच से और भी बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।

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