N/A
Total Visitor
25.8 C
Delhi
Thursday, July 31, 2025

कारगिल विजय दिवस: वीरों की शौर्य गाथा, जो दिलों में बसती है

नई दिल्ली, 26 जुलाई 2025: साल 1999, भारतीय इतिहास का वह स्वर्णिम पन्ना, जब भारत माता के सपूतों ने अपने अदम्य साहस और बलिदान से कारगिल की ऊंची चोटियों पर तिरंगे का परचम लहराया। यह वह साल था, जब भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को न सिर्फ करारा जवाब दिया, बल्कि उनकी हिम्मत को धूल में मिला दिया। लगभग 60 दिनों तक चले इस युद्ध में भारतीय सैनिकों ने हर मोर्चे पर दुश्मन को धराशायी किया। आज, 26 जुलाई को हम कारगिल विजय दिवस के रूप में उन वीरों को याद करते हैं, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी। आइए, उन अमर शहीदों की शौर्य गाथा को सलाम करें, जिनके बलिदान ने भारत को गौरवान्वित किया।

कारगिल युद्ध: एक अविस्मरणीय गाथा

1999 की सर्द रातों में, जब पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कारगिल की चोटियों पर कब्जा करने की साजिश रची, तब भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया। इस युद्ध में भारत ने अपने 527 वीर सपूतों को खोया, जबकि 1363 जवान घायल हुए। लेकिन हर सैनिक की वीरता ने इतिहास रच दिया। कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे, ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव, राइफलमैन संजय कुमार जैसे नायकों ने अपने शौर्य से दुनिया को दिखा दिया कि भारत की रक्षा के लिए हमारे जवान किसी भी हद तक जा सकते हैं।

कारगिल के अमर नायक

  1. ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव: टाइगर हिल की रणनीतिक चोटियों पर कब्जा करने का जिम्मा योगेंद्र को सौंपा गया। तीन गोलियां लगने के बावजूद उन्होंने दुश्मन के बंकरों को नेस्तनाबूद किया और अपनी प्लाटून को जीत की राह दिखाई। इस अदम्य साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
  2. लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे: बटालिक सेक्टर में दुश्मन को खदेड़ने की जिम्मेदारी मनोज ने बखूबी निभाई। जुबार टॉप और खालुबार हिल पर कब्जा जमाने के दौरान भीषण गोलाबारी में वे शहीद हो गए। उनकी वीरता के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से नवाजा गया।
  3. कैप्टन विक्रम बत्रा: ‘शेर शाह’ के नाम से मशहूर विक्रम बत्रा ने प्वाइंट 5140 और 4875 पर कब्जा जमाकर दुश्मन के होश उड़ा दिए। “ये दिल मांगे मोर” का उनका नारा आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजता है। 7 जुलाई 1999 को शहीद होने वाले इस वीर को मरणोपरांत परमवीर चक्र मिला।
  4. राइफलमैन संजय कुमार: एरिया फ्लैट टॉप पर संजय ने तीन पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर कर बंकर पर कब्जा जमाया। तीन गोलियां लगने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और सहायता आने तक मोर्चा संभाले रखा। उनकी इस बहादुरी के लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

कारगिल युद्ध की समयरेखा

  • 3 मई 1999: स्थानीय चरवाहों ने कारगिल में पाकिस्तानी घुसपैठ की सूचना दी।
  • 5 मई 1999: भारतीय सेना ने गश्ती दल भेजा, लेकिन पाकिस्तानी सैनिकों ने पांच भारतीय जवानों की हत्या कर दी।
  • 26 मई 1999: भारतीय वायुसेना ने ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ शुरू कर हवाई हमले किए।
  • 13 जून 1999: भारतीय सेना ने तोलोलिंग चोटी पर कब्जा जमाया।
  • 4 जुलाई 1999: टाइगर हिल पर तिरंगा फहराया गया।
  • 26 जुलाई 1999: ‘ऑपरेशन विजय’ की सफलता के साथ कारगिल युद्ध का अंत हुआ।

एक मां का दर्द और गर्व: शहीद सुनील महत की कहानी

लखनऊ की बीना आज भी अपने बेटे सुनील जंग महत की यादों में खो जाती हैं। कारगिल युद्ध में द्रास के निर्णायक युद्ध में शहीद हुए सुनील की मां कहती हैं, “मुझे इस जगह पर सुकून मिलता है, जहां मेरे बेटे ने देश के लिए जान दी।” 25 साल बाद भी बीना उस जमीन पर अपने बेटे की शहादत को महसूस करती हैं। वे कहती हैं, “मैं नहीं जानती कि यह जगह तब कैसी थी, लेकिन मेरा बेटा छोटी सी उम्र में दुश्मनों से लड़ा। उसकी यादें मुझे हमेशा सताती रहेंगी।”

कारगिल विजय दिवस: एक प्रेरणा

कारगिल विजय दिवस न केवल उन वीरों को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया, बल्कि यह हर भारतीय के लिए प्रेरणा भी है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारी आजादी और सम्मान उन सैनिकों की बदौलत है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी। आइए, इस कारगिल विजय दिवस पर उन अमर शहीदों को नमन करें और उनके बलिदान को हमेशा अपने दिलों में संजोए रखें।

जय हिंद!

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »