जिस वक्त राइस मिल की दीवार और फिर लेंटर गिरा, तब दिनभर के थके श्रमिक गहरी नींद में थे। इमारत गिरते ही तेज धमाके से चौंक कर उठे तो चारों ओर इमारत के मलबे से उठा धूल का गुबार था। तब कुछ भी नजर नहीं रहा था, सांस लेने में दिक्कत होने लगी। चीख पुकार मच गई। अफरातफरी का माहौल बन गया। किधर जाएं कुछ समझ नहीं आ रहा था।
मलबे से उठा धूल का गुबार, सांस लेने में होने लगी दिक्कतहादसे के वक्त 250 श्रमिक सो रहे थे, इनमें से 24 श्रमिक बरामदे में थे। ये सभी दीवार और लेंटर के मलबे में दबे थे। चीखने की आवाज आ रही थीं। दीवार और लेंटर गिरने से हुए धमाके की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़े तो इमारत धराशायी मिली। लोगों की भीड़ जमा हो गई। पुलिस और फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची और कुछ ही देर में भठिंडा से एनडीआरएफ की टीम भी आ गई। एनडीआरएफ की टीम आने के बाद बचाव कार्य में तेजी आई।
मंजिल में फंसे मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया
ऊपर की मंजिल में फंसे श्रमिकों को एल्युमीनियम की सीढि़यां लगाकर सुरक्षित निकाला गया। हाइड्रा मशीनें मौके पर आई और मलबे को हटाने का काम शुरू हुआ। मलबा हटाकर घायलों को अस्पताल भेजा जाने लगा। सुबह छह बजे तक मलबे के नीचे दबे श्रमिकों और इमारत में ऊपर की मंजिल में फंसे मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया। इनमें से दो श्रमिकों की अस्पताल में इलाज क दौरान मौत हो गई जबकि सुबह आठ बजे मलबे से दो अन्य श्रमिकों के शव निकाले जा सके। करीब पांच घंटे तक पुलिस का बचाव कार्य चला।
पोस्टमार्टम हाउस में परिजनों का रो-रोहकर बुरा हाल
मंगलवार तड़के 3:54 बजे सिविल अस्पताल को सूचना देकर एंबुलेंस मंगाई गई। मलबे में दबे श्रमिकों को निकालने के साथ ही एंबुलेंस से तरावड़ी, नीलोखेड़ी और सिविल अस्पताल लाया गया। चार मृतक श्रमिकों के शवों को कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। उनकी आंखें नम थीं और किस्मत को कोसते मिले।
पहले एक एंबुलेंस भेजी, फिर 15 और बुलाईं
सिविल अस्पताल के एंबुलेंस के फ्लीट मैनेजर ने इमारत गिरने की सूचना पर एक एंबुलेंस तरावड़ी भेजी, लेकिन मौके पर पहुंचने पर हादसा बड़ा मिला। जिसके बाद 15 एंबुलेंस और भेजी गईं। घायलों को अस्पताल ले जाने में 16 एंबुलेंसी लगीं।
मासूमों के सिर से उठा पिता का साया
बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले चंदन की उम्र महज 28 और संजय की 27 साल है। दोनों के कंधों पर परिवार की जिम्मेदारी थी। दो साल पहले अपने परिवार के साथ करनाल में कामकाज के लिए आए थे। दोनों के छोटे बच्चे हैं। वे अगले महीने छुट्टी लेकर बिहार जाने वाले थे।