नई दिल्ली, 8 जुलाई 2025: हर साल सावन के महीने में जब कांवड़ यात्रा शुरू होती है, देश भर के शिव भक्त पवित्रता और श्रद्धा के साथ इस यात्रा में शामिल होते हैं। लेकिन इस दौरान स्वच्छता और सात्विकता को लेकर अक्सर विवाद खड़े हो जाते हैं। इस बार 11 जुलाई से शुरू होने वाली कांवड़ यात्रा को लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों ने स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन प्रयासों पर रोक लगा दी। इस बीच, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने एक अनोखा रास्ता निकाला है, जो न केवल कांवड़ियों की भावनाओं का सम्मान करता है, बल्कि पवित्रता और विश्वास को भी बनाए रखने का वादा करता है।
वरिष्ठ पत्रकार अनिता चौधरी ने विश्व हिंदू परिषद के इंद्रप्रस्थ मंडल के संगठन मंत्री सुरेंद्र गुप्ता से इस मुद्दे पर खास बातचीत की। अनिता ने सवाल उठाया कि सरकार ने दुकानों पर पहचान पत्र लगाने की कोशिश की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने धर्मनिरपेक्षता का हवाला देकर इस पर रोक लगा दी। इस पर सुरेंद्र गुप्ता ने बेबाकी से कहा, “यह धर्मनिरपेक्षता की आड़ में तुष्टिकरण की कोशिश है। हर धर्म और पंथ के लोग अपनी पूजा पद्धति और सात्विकता का पालन करते हैं। एक हिंदू के तौर पर, कांवड़ यात्रा के दौरान मैं चाहता हूं कि मेरी धार्मिक भावनाओं और पवित्रता का सम्मान हो। अगर कोई दुकानदार झूठे नाम के बोर्ड लगाकर मेरी सात्विकता को ठेस पहुंचाता है, तो यह न केवल मेरे विश्वास पर चोट है, बल्कि इससे कानून-व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है।”
सुरेंद्र गुप्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इसी समस्या से बचने के लिए दुकानों पर पहचान पत्र लगाने का नियम बनाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। उन्होंने सवाल उठाया, “अगर कानून-व्यवस्था बिगड़ती है, तो क्या सुप्रीम कोर्ट उस समय जिम्मेदारी लेगा? प्रशासन तो पहले से ही ऐसी समस्याओं से निपटने के लिए योजना बनाता है।”
विश्व हिंदू परिषद का अनोखा समाधान
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विश्व हिंदू परिषद ने एक नया रास्ता अपनाया है। सुरेंद्र गुप्ता ने बताया, “हम उन दुकानों पर स्टिकर लगाएंगे, जहां कांवड़ियों को स्वच्छ और सात्विक सामान मिलने की गारंटी होगी। ये स्टिकर इस बात का प्रमाण होंगे कि यहां पवित्रता भंग नहीं होगी।” इन स्टिकरों पर लिखा होगा, ‘गर्व से कहो हम हिंदू हैं, सनातनी व्यापारिक प्रतिष्ठान’। यह स्टिकर केवल उन दुकानदारों को दिया जाएगा, जो स्वेच्छा से इस पहल में शामिल होंगे और जिनकी दुकानों की जांच विहिप कार्यकर्ता करेंगे।
सुरेंद्र गुप्ता ने सख्त चेतावनी भी दी कि अगर कोई दुकानदार फर्जी तरीके से विहिप के लोगो वाला स्टिकर लगाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह पहल फिलहाल दिल्ली में शुरू की जा रही है, और अगर इसके परिणाम सकारात्मक रहे, तो इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: जल्दबाजी या अन्याय?
सुरेंद्र गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अन्यायपूर्ण बताते हुए कहा, “कोर्ट को इस मुद्दे की गहराई से जांच करनी चाहिए थी। लाखों कांवड़िए अपनी श्रद्धा और विश्वास के साथ इस यात्रा में शामिल होते हैं। अगर दुकानों पर स्वच्छता या पवित्रता को लेकर कोई धोखा होता है और माहौल बिगड़ता है, तो उस समय सुप्रीम कोर्ट क्या करेगा? जल्दबाजी में लिया गया यह फैसला न्यायोचित नहीं है।”
एक सकारात्मक पहल
विश्व हिंदू परिषद की यह पहल न केवल कांवड़ियों की भावनाओं का सम्मान करती है, बल्कि स्वच्छता और पवित्रता को बनाए रखने का एक व्यावहारिक समाधान भी पेश करती है। यह कदम न तो किसी पर थोपा जा रहा है और न ही यह किसी के खिलाफ है। यह सिर्फ एक कोशिश है कि शिव भक्तों की आस्था और विश्वास बरकरार रहे।
सावन का महीना नजदीक है, और इस बार कांवड़ यात्रा न केवल श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होगी, बल्कि यह एक ऐसी मिसाल भी कायम कर सकती है, जहां आस्था और व्यवस्था एक साथ चलें। विश्व हिंदू परिषद की यह पहल इस दिशा में एक सकारात्मक कदम है, जो कांवड़ियों के लिए एक सुरक्षित और पवित्र अनुभव सुनिश्चित करने का वादा करती है।