चंडीगढ़, 2 अगस्त 2025: हिमाचल प्रदेश के मंडी से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सांसद और बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने 2021 के किसान आंदोलन के दौरान एक बुजुर्ग महिला किसान महिंदर कौर के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी से जुड़े मानहानि मामले को रद्द करने की कंगना की याचिका को खारिज कर दिया है। इस फैसले के बाद अब बठिंडा की निचली अदालत में इस मामले की सुनवाई फिर से शुरू होगी।
जस्टिस त्रिभुवन दहिया की एकल पीठ ने अपने फैसले में कहा कि कंगना के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का मामला प्रथम दृष्टया बनता है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बठिंडा की मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा जारी समन आदेश विधि सम्मत है। कोर्ट ने कंगना के इस दावे को खारिज कर दिया कि उन्होंने केवल एक वकील की पोस्ट को रीट्वीट किया था और उनका कोई गलत इरादा नहीं था।
मामला 2021 के किसान आंदोलन से जुड़ा
यह विवाद 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान शुरू हुआ, जब कंगना रनौत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर बठिंडा के बहादुरगढ़ जंडिया गांव की 87 वर्षीय महिला किसान महिंदर कौर की तस्वीर साझा की थी। अपने ट्वीट में कंगना ने लिखा था, “हा हा हा, यह वही दादी हैं जो टाइम मैगजीन में सबसे प्रभावशाली भारतीय के तौर पर आई थीं और यह 100 रुपये में उपलब्ध हैं।” कंगना ने दावा किया था कि आंदोलन में शामिल होने के लिए महिलाओं को 100-100 रुपये दिए जा रहे थे। इस टिप्पणी में उन्होंने महिंदर कौर को गलती से शाहीन बाग की प्रदर्शनकारी बिलकिस बानो के साथ जोड़ दिया था।
इस ट्वीट से आहत होकर महिंदर कौर ने 4 जनवरी 2021 को बठिंडा की स्थानीय अदालत में कंगना के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कंगना के बयान ने उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई और उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। बठिंडा कोर्ट ने करीब 13 महीने की सुनवाई के बाद 2022 में कंगना को समन जारी कर पेश होने का आदेश दिया था।
कंगना की दलील को कोर्ट ने किया खारिज
कंगना ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बठिंडा कोर्ट में चल रहे मानहानि मामले को रद्द करने की मांग की थी। उनकी दलील थी कि ट्वीट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आता है और इसमें किसी की मानहानि का इरादा नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने केवल वकील गौतम यादव की पोस्ट को रीट्वीट किया था, लेकिन कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार नहीं किया। जस्टिस दहिया ने अपने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता एक जानी-मानी हस्ती हैं, और उनके ट्वीट में किए गए झूठे और अपमानजनक कथनों ने शिकायतकर्ता की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है। शिकायतकर्ता द्वारा अपने अधिकारों की रक्षा के लिए दायर शिकायत को दुर्भावनापूर्ण नहीं माना जा सकता।”
अब बठिंडा कोर्ट में होगी सुनवाई
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब यह मामला बठिंडा की निचली अदालत में फिर से शुरू होगा। कोर्ट ने माना कि मजिस्ट्रेट ने सभी साक्ष्यों की समीक्षा के बाद विधि सम्मत तरीके से समन जारी किया था। कंगना के पास अब सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का विकल्प बचा है।
व्यापक प्रभाव और अन्य मामले
महिंदर कौर के वकील ने इस फैसले को न केवल उनकी मुवक्किल के लिए, बल्कि उन सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण बताया है, जो सोशल मीडिया पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों से प्रभावित होते हैं। गौरतलब है कि कंगना के किसान आंदोलन से जुड़े विवादित बयानों के कारण उनके खिलाफ बठिंडा के अलावा बुलंदशहर और आगरा में भी कानूनी शिकायतें दर्ज की गई थीं। इसके अतिरिक्त, 2024 में चंडीगढ़ हवाई अड्डे पर एक सीआईएसएफ जवान कुलविंदर कौर ने कंगना को थप्पड़ मार दिया था, जिसका कारण भी उनके किसान आंदोलन से जुड़े बयानों को बताया गया था।
कंगना के वकील ने पहले दावा किया था कि उनके खिलाफ देश भर में 40 से अधिक मामले दर्ज हैं, जिन्हें एक साथ सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी। हालांकि, इस मामले में हाईकोर्ट के फैसले ने कंगना की कानूनी चुनौतियों को और बढ़ा दिया है।