उज्जैन, मध्य प्रदेश, 1 जुलाई 2025: एक ओर त्रिशूल, दूसरी ओर खप्पर और प्रसाद में मदिरा! मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित काल भैरव मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि रहस्य और चमत्कार का जीवंत प्रतीक भी है। यहाँ भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव को शराब अर्पित की जाती है, जो मूर्ति के मुँह से गायब हो जाती है। यह नजारा देख हर भक्त की आँखें आश्चर्य से फैल जाती हैं। न कोई नली, न कोई वैज्ञानिक जवाब—यह चमत्कार आज भी अनसुलझा है।
6 हजार साल पुराना इतिहास
काल भैरव मंदिर का इतिहास करीब 6,000 वर्ष पुराना माना जाता है। स्कंद पुराण और कालिका पुराण में इसकी महिमा का उल्लेख मिलता है। इतिहासकारों के अनुसार, मंदिर का मूल निर्माण शिप्रा नदी के किनारे राजा भद्रसेन ने करवाया था। वर्तमान मंदिर 18वीं सदी में मराठा शासक महादजी शिंदे द्वारा पुनर्निर्मित किया गया। उज्जैन की प्राचीन अवंतिका नगरी में शैव परंपरा की गहरी छाप इस मंदिर में साफ झलकती है।
मंदिर की अनूठी बनावट
मालवा शैली में बना यह मंदिर सादगी और भव्यता का अनूठा संगम है। प्रवेश द्वार पर दो विशाल सिंहों की मूर्तियाँ मंदिर की शक्ति और रक्षा का प्रतीक हैं। गर्भगृह में काले पत्थर से निर्मित काल भैरव की मूर्ति विराजमान है, जिसके दाएँ हाथ में त्रिशूल और बाएँ में खप्पर है। मूर्ति का मुँह वह रहस्यमयी केंद्र है, जहाँ शराब चढ़ाई जाती है। दीवारों पर तांत्रिक प्रतीक और भैरव से जुड़े चित्र मंदिर की रहस्यमयता को और गहरा करते हैं।
शराब का चमत्कार
हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु शराब की बोतलें लेकर काल भैरव के दर्शन को आते हैं। पुजारी द्वारा मूर्ति के मुँह से शराब चढ़ाने पर वह रहस्यमयी ढंग से गायब हो जाती है। यह दृश्य न केवल भक्तों, बल्कि वैज्ञानिकों और जिज्ञासुओं को भी हैरान करता है। कपालिका और अघोरा संप्रदाय से जुड़े तांत्रिकों के लिए यह मंदिर विशेष महत्व रखता है।
कैसे पहुँचें?
काल भैरव मंदिर उज्जैन शहर से 8 किमी दूर है। उज्जैन रेलवे स्टेशन से ऑटो, टैक्सी या लोकल बस आसानी से उपलब्ध हैं। हवाई यात्रियों के लिए निकटतम हवाई अड्डा इंदौर (60 किमी) है, जहाँ से टैक्सी या बस से मंदिर तक पहुँचा जा सकता है। उज्जैन में ठहरने के लिए होटल और धर्मशालाएँ भी उपलब्ध हैं।
आस्था और जिज्ञासा का संगम
काल भैरव मंदिर केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसा केंद्र है, जो आस्था और रहस्य के बीच की रेखा को धुंधला करता है। यहाँ हर साल लाखों भक्त आते हैं, जो न केवल भक्ति में डूबते हैं, बल्कि उस चमत्कार को देखने के लिए भी उत्सुक रहते हैं, जो विज्ञान को भी चुनौती देता है।