गाजियाबाद, 15 जून 2025, रविवार: पांच साल के लंबे इंतजार के बाद, पवित्र कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से शुरू हो गई है। आज, इंदिरापुरम स्थित भव्य कैलाश मानसरोवर भवन से पहले जत्थे को उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर तीर्थयात्रियों में उत्साह और भक्ति का माहौल देखने को मिला। योगी आदित्यनाथ और नरेंद्र मोदी सरकार की पहल को श्रद्धालु इस पवित्र यात्रा के पुनरारंभ का श्रेय दे रहे हैं।
पांच साल बाद फिर शुरू हुई यात्रा
कोविड-19 महामारी और भारत-चीन सीमा विवाद, खासकर गलवान घाटी में तनाव के कारण 2020 में यह तीर्थयात्रा स्थगित कर दी गई थी। हाल ही में, अक्टूबर 2024 में कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार हुआ, जिसके परिणामस्वरूप यह यात्रा फिर से शुरू हो सकी। विदेश मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार की संयुक्त कोशिशों ने इस आध्यात्मिक यात्रा को पुनर्जनम दिया। इस साल, 30 जून से 25 अगस्त तक कुल 15 जत्थे कैलाश मानसरोवर के लिए रवाना होंगे, जिसमें प्रत्येक जत्थे में 50 तीर्थयात्री शामिल होंगे।
इंदिरापुरम का कैलाश मानसरोवर भवन: तीर्थयात्रियों की सुविधा का केंद्र
गाजियाबाद के इंदिरापुरम में 9 हजार वर्ग मीटर में फैला कैलाश मानसरोवर भवन तीर्थयात्रियों के लिए एक आदर्श सुविधा केंद्र के रूप में उभरा है। 70 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस भवन का उद्घाटन 12 दिसंबर 2020 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। यह भवन पूरी तरह वातानुकूलित है और इसमें 288 तीर्थयात्रियों के ठहरने की व्यवस्था है। दो और चार बेड वाले कमरे, 180 वाहनों की पार्किंग, सात्विक भोजन, और अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में रखरखाव की कमी के कारण भवन की स्थिति खराब हो गई थी। लेकिन इस बार, योगी सरकार ने इसे फिर से सुसज्जित किया। एसी, एलईडी टीवी, फ्रिज, और कांफ्रेंस रूम जैसी सुविधाओं को दुरुस्त किया गया। तीर्थयात्रियों ने भवन के सहयोगी स्टाफ, स्वच्छता, और शुद्ध शाकाहारी भोजन की जमकर तारीफ की। एक यात्री ने कहा, “यहां की व्यवस्थाएं इतनी शानदार हैं कि हमें घर जैसा महसूस हो रहा है। योगी और मोदी सरकार की वजह से यह संभव हुआ।”
यात्रा की व्यवस्था और मार्ग
इस वर्ष, यात्रा दो मार्गों—लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) और नाथू-ला दर्रा (सिक्किम)—के माध्यम से होगी। कुल 750 तीर्थयात्री इस यात्रा में शामिल होंगे, जिसमें 500 सिक्किम मार्ग और 250 उत्तराखंड मार्ग से जाएंगे। लिपुलेख मार्ग से यात्रा का खर्च लगभग 1.75 से 2 लाख रुपये और नाथू-ला मार्ग से 2.75 से 3 लाख रुपये है। यात्रा की शुरुआत गाजियाबाद से होगी, जहां तीर्थयात्री चार दिन ठहरेंगे। इस दौरान, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) द्वारा मेडिकल जांच और वीजा औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी।
उत्तर प्रदेश सरकार और यूपीएसटीडीसी ने तीर्थयात्रियों के लिए भोजन, आवास, और योगाभ्यास की व्यवस्था की है। सुरक्षा के लिए आईटीबीपी, जिला प्रशासन, और पर्यटन निगम के कर्मचारी 24 घंटे उपलब्ध रहेंगे। इसके अलावा, योगी सरकार प्रत्येक यात्री को 1 लाख रुपये का अनुदान भी प्रदान कर रही है, जो इस यात्रा को और सुलभ बनाता है।
श्रद्धालुओं में उत्साह, सरकार की सराहना
पहले जत्थे के तीर्थयात्रियों ने गाजियाबाद प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार की व्यवस्थाओं की प्रशंसा की। एक यात्री ने कहा, “पांच साल बाद यह यात्रा फिर से शुरू हुई है, और गाजियाबाद प्रशासन ने हमें हर सुविधा दी है। यह योगी और मोदी सरकार की दूरदर्शिता का परिणाम है।” पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा, “गाजियाबाद और उत्तर प्रदेश के लिए यह गर्व का क्षण है कि कैलाश मानसरोवर यात्रा का शुभारंभ इंदिरापुरम से हो रहा है। हमारी सरकार श्रद्धालुओं की हर सुविधा का ध्यान रख रही है।”
आध्यात्मिक महत्व और भविष्य की योजनाएं
कैलाश मानसरोवर यात्रा हिंदू, बौद्ध, जैन, और तिब्बती बॉन धर्म के अनुयायियों के लिए आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, कैलाश पर्वत भगवान शिव और माता पार्वती का निवास स्थान है, जबकि मानसरोवर झील को भगवान ब्रह्मा की रचना माना जाता है। इस यात्रा को पूरा करने में 22 से 25 दिन लगते हैं, जिसमें तीर्थयात्री कठिन ट्रेक और 19,500 फीट की ऊंचाई तक की चढ़ाई करते हैं। भविष्य में, भारत और चीन के बीच बेहतर राजनयिक संबंधों के साथ इस यात्रा को और सुगम बनाने की योजना है।