कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तानाशाह बताते हुए नए संसद भवन को उनके घमंड की इमारत कहकर नया विवाद छेड़ दिया है। बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन का दौरा किया। इस पर टिप्पणी करते हुए जयराम रमेश ने कहा, हर तानाशाह अपनी वास्तु विरासत छोड़ना चाहता है। नया संसद भवन पैसे की भारी बर्बादी कर तैयार हो रही व्यक्तिगत घमंड की पहली परियोजना है।
जयराम रमेश की इस टिप्पणी पर भाजपा सांसद व प्रवक्ता कर्नल राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा, नए संसद भवन का प्रस्ताव 2012 में सोनिया गांधी के रिमोट कंट्रोल वाली यूपीए सरकार के समय स्वीकार हुआ। तब चर्चा थी कि इसे बनाने में 3000 करोड़ की लगात आएगी। लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ईमानदार सरकार आ गई और लागत घटकर 971 करोड़ रह गई। आज नई संसद व सेंट्रल विस्टा को जनाकांक्षा का प्रतीक माना जा रहा है, तो कांग्रेस बौखला गई है और साबित कर रही है कि उसे देशवासियों के हर गौरव, हर खुशी से दर्द होता है। दशकों के कांग्रेसी शासनकाल में कमीशनखोरी आम बात थी, तो संभव है 3,000 करोड़ में भी कांग्रेस के वारे-न्यारे होते, शायद यही कांग्रेस की छटपटाहट की असल वजह है।
पहले कहा था, पुराना संसद काम का नहीं
ट्विटर पर लोगों ने भी जयराम रमेश को पुरानी खबरें याद दिलाना शुरू कर दिया, जब वे खुद नए संसद भवन की पैरवी करते थे। असल में 2012 में जब जयराम रमेश केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री थे, तब उन्होंने कहा था कि हमें नए संसद भवन की सख्त जरूरत है। मौजूदा संसद भवन काम का नहीं, यह पूरी तरह से पुराना पड़ चुका है। बहरहाल, ट्विटर पर जयराम रमेश को नए संसद भवन के खिलाफ अपने विचारों को लेकर लोग जमकर खरी-खोटी सुना रहे हैं।
नंदिनी लिखती हैं, चिंता न करें इस घमंड की इमारत में कांग्रेस के ज्यादा लोगों को बैठने का मौका नहीं मिलेगा। वे समाधियों के नाम पर बने अपने घमंड के परियोजनास्थलों पर जाकर इसका रोना रो सकते हैं।
बीके चावला ने जयराम रमेश को याद दिलाया कि यह परियोजना मूल रूप से कांग्रेस ने ही मंजूर की थी और 10 वर्ष बाद भी उस समय तय की गई कीमत की तुलना में काफी कम खर्च में तैयार हो रही है।
कांग्रेस के शासनकाल में मिली थी निर्माण की मंजूरीतमाम कांग्रेसी नेता इस दावे को गलत बताते हैं कि नए संसद भवन के निर्माण को मंजूरी यूपीए ने दी थी। लेकिन, भाजपा नेता शहजाद पूनावाला का दावा है कि पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने 13 जुलाई, 2012 को अपने ओएसडी के जरिये केंद्रीय आवास व शहरी कार्य मंत्रालय को पत्र भेजा, जिसमें उन्होंने नए संसद भवन के लिए अपनी मंजूरी देते हुए कहा, मौजूदा संसद भवन 1927 में बना है। यह ग्रेड-1 विरासत भवन है। दशकों की उम्र और इस्तेमाल की वजह से संसद भवन में कई जगह कई तरह की दिक्कतें आने लगी हैं। इसके अलावा 2026 तक लोकसभा व राज्यसभा में सांसदों की संख्या भी बढ़ जाएगी, जिनके बैठने के लिए मौजूदा सदनों में जगह पर्याप्त नहीं होगी। लिहाजा, ज्यादा सांसदों के बैठने की क्षमता वाले लोकसभा भवन की दरकार है। इसे शीर्ष प्राथमिकता दी जाए।