नई दिल्ली, 16 अप्रैल 2025, बुधवार। भारत के सर्वोच्च न्यायालय को जल्द ही अपना 52वां मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) मिलने जा रहा है। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई को अगले सीजेआई के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है। यह ऐतिहासिक सिफारिश न केवल देश की न्यायिक व्यवस्था में एक नए अध्याय की शुरुआत है, बल्कि जस्टिस गवई की असाधारण कानूनी यात्रा का भी सम्मान है।
नए युग की शुरुआत
जस्टिस खन्ना, जो 13 मई 2025 को सेवानिवृत्त होंगे, ने केंद्रीय कानून मंत्रालय को जस्टिस गवई के नाम की सिफारिश भेजी है। सुप्रीम कोर्ट के दूसरे सबसे वरिष्ठ जज, जस्टिस गवई 24 मई 2019 से इस सर्वोच्च संस्थान में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सीजेआई के रूप में उनका कार्यकाल छह महीने से अधिक का होगा, जो 23 नवंबर 2025 तक चलेगा। यह अवधि उनके लिए न्यायिक सुधारों और ऐतिहासिक फैसलों के माध्यम से देश की न्याय प्रणाली को और सशक्त करने का अवसर होगी।
महाराष्ट्र का गौरव
24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में जन्मे जस्टिस गवई ने अपने करियर की शुरुआत एक समर्पित वकील के रूप में की। 1985 में बार में शामिल होने के बाद, उन्होंने नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के लिए स्थायी वकील के रूप में काम किया। उनकी प्रतिभा और समर्पण ने उन्हें 1992-93 में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक और अतिरिक्त सरकारी वकील की भूमिका तक पहुंचाया। 2000 में वे सरकारी वकील बने, और 2003 में बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए। 2005 में स्थायी न्यायाधीश बनने के बाद, उनकी यात्रा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची।
ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा
जस्टिस गवई का न्यायिक करियर कई ऐतिहासिक और चर्चित फैसलों से भरा है। वे उन पांच जजों की संविधान पीठ का हिस्सा थे, जिसने दिसंबर 2023 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखा। इसके अलावा, उन्होंने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने और 2016 के नोटबंदी के फैसले को मंजूरी देने वाली संविधान पीठों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाल ही में, सात जजों की पीठ में शामिल होकर उन्होंने राज्यों को अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण का अधिकार देने वाले फैसले में योगदान दिया। ये फैसले न केवल उनकी कानूनी गहनता को दर्शाते हैं, बल्कि सामाजिक न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी उजागर करते हैं।
न्याय का नया प्रतीक
जस्टिस गवई की नियुक्ति भारत के न्यायिक तंत्र में निरंतरता और विश्वास का प्रतीक है। जस्टिस गवई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट से निष्पक्षता और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की उम्मीद की जा रही है। देश अब उनके कार्यकाल की शुरुआत का बेसब्री से इंतजार कर रहा है, जो निश्चित रूप से भारतीय न्यायपालिका के लिए एक सुनहरा दौर साबित होगा।