नई दिल्ली, 8 नवंबर 2024, शुक्रवार। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ का 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त होने वाला है, लेकिन इससे पहले उन्होंने अपने अंतिम कार्य दिवस पर भी अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। शुक्रवार, 8 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में उनका आखिरी वर्किंग डे था, और इस दिन भी उन्होंने 45 मामलों की सुनवाई की। उनकी अद्वितीय शैली और निर्णय लेने की क्षमता ने उन्हें बेबाक बयानों, कड़े फैसलों और हाजिर जवाबी के लिए मशहूर बना दिया है।
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जे से संबंधित मामले में भी उन्होंने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने एएमयू के अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखा, जो एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है। उनकी विदाई से पहले यह निर्णय उनकी क्षमता और न्यायपालिका में उनके योगदान को दर्शाता है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है। उनके पिता, यशवंत विष्णु चंद्रचूड़, भी देश के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। यह एक अनोखी पिता-पुत्र की जोड़ी है जिन्होंने इस उच्च पद को संभाला है। जस्टिस चंद्रचूड़ की युवा ऊर्जा और आकर्षक व्यक्तित्व ने उन्हें सोशल मीडिया पर हमेशा चर्चा में रखा है। लेकिन यह उनकी क्षमता और समर्पण की कहानी भी है। उन्होंने अपने जीवन में हर चीज़ को पूरी ईमानदारी और शिद्दत से निभाया है, चाहे वह काम हो या मोहब्बत। उनकी यही दृढ़ता उन्हें एक सच्चे आदर्शवादी बनाती है।
डीवाई चंद्रचूड़ का निजी जीवन भी उतना ही रोचक है जितना उनका पेशेवर जीवन। उन्होंने दो शादियां की हैं और वे चार बच्चों के पिता हैं। उनका परिवार भी कानून के क्षेत्र में ही है। उनकी पत्नी कल्पना दास और दोनों बेटे अभिनव और चिंतन वकील हैं। यह दिखाता है कि उनका कानून के प्रति जुनून परिवार में भी है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक इंटरव्यू में अपनी लव लाइफ के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि 2007 में उनकी पहली पत्नी रश्मि का निधन हो गया था, जिसके बाद वे बहुत अकेले हो गए थे। लेकिन उसी समय उनकी जिंदगी में कल्पना दास की एंट्री हुई, जो पहले दोस्त के रूप में थीं और बाद में उनकी पत्नी बनीं।
चंद्रचूड़ ने बताया कि वे मुंबई में थे और कल्पना दिल्ली में, लेकिन फोन पर बातें करने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि वे एक-दूसरे का खालीपन भर सकते हैं। उन्होंने कल्पना से सीधे शादी के लिए पूछा, जो पहले हैरान हुईं लेकिन बाद में सहमत हो गईं। चंद्रचूड़ ने कहा कि शादी का फैसला आसान नहीं था, लेकिन अब वे खुशहाल जीवन जी रहे हैं।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और उनकी पत्नी कल्पना दास की जोड़ी एक सच्चे लाइफ पार्टनर की मिसाल है। चंद्रचूड़ ने कहा कि कल्पना बहुत समझदार हैं और वे साथ में खुश हैं। उनकी खुशहाल जिंदगी में दो और खास सदस्य हैं – प्रियंका और माही नामक दो लड़कियां, जिन्हें उन्होंने गोद लिया है। ये दोनों लड़कियां स्पेशल चाइल्ड हैं और चंद्रचूड़ और कल्पना उनके मम्मी-पापा हैं।
चंद्रचूड़ ने कहा कि वे खुद को चार बच्चों का पिता मानते हैं, जिसमें उनके दो बेटे अभिनव और चिंतन भी शामिल हैं। यह दिखाता है कि चंद्रचूड़ के लिए परिवार बहुत महत्वपूर्ण है और वे अपने सभी सदस्यों के साथ एक खुशहाल जीवन जी रहे हैं।
डीवाई चंद्रचूड़: एक सच्चा न्यायाधीश
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
11 नवंबर 1959 को मुंबई, महाराष्ट्र में जन्म
पिता वाई वी चंद्रचूड़, भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं
सेंट कोलंबस स्कूल, दिल्ली में प्रारंभिक शिक्षा
दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातक की डिग्री
दिल्ली विश्वविद्यालय के लॉ फैकल्टी से कानून की पढ़ाई, गोल्ड मेडल से सम्मानित
हावर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर्स और डॉक्टरेट की उपाधि
न्यायिक करियर
बॉम्बे हाई कोर्ट में वकील के रूप में करियर की शुरुआत
2000 में बॉम्बे हाई कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त
2013 में इलाहाबाद हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश
2016 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश नियुक्त
व्यक्तिगत जीवन
दो शादियां, पहली पत्नी रश्मि का 2007 में निधन
दूसरी पत्नी कल्पना दास, वकील
दो बेटे अभिनव और चिंतन, दोनों वकील
दो गोद ली हुई बेटियां प्रियंका और माही, स्पेशल चाइल्ड