नई दिल्ली, 28 मई 2025, बुधवार। सुप्रीम कोर्ट ने देश के नामी-गिरामी वकीलों को एक ताज़ा और प्रेरणादायक सलाह दी है, जो न सिर्फ कानूनी दुनिया में हलचल मचाएगी, बल्कि युवा वकीलों के लिए नए दरवाजे भी खोलेगी! बुधवार को कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि गर्मी की छुट्टियों के दौरान, जब कोर्ट आंशिक कार्य दिवसों पर चलता है, तो दिग्गज अधिवक्ताओं को अपनी चमकदार कुर्सियां छोड़कर जूनियर वकीलों को मैदान में उतरने का मौका देना चाहिए।
न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने इस विचार को और बल देते हुए कहा, “ये आंशिक कार्य दिवस जूनियर वकीलों के लिए सुनहरा अवसर हैं। उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलना चाहिए।” पीठ ने मशहूर वकीलों जैसे मुकुल रोहतगी, अभिषेक मनु सिंघवी और नीरज किशन कौल से सीधे तौर पर अपील की कि वे इन दिनों बहस से परहेज करें और युवा प्रतिभाओं को आगे बढ़ने दें।
यह सलाह तब सामने आई, जब नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के एक आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान एक जूनियर वकील कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने बताया कि उनके सीनियर, श्याम दीवान, उपलब्ध नहीं हैं और सुनवाई स्थगित करने की गुज़ारिश की। तभी पीठ ने यह दूरदर्शी सुझाव दिया, जो कानूनी जगत में एक नई हवा का झोंका बन गया।
सुप्रीम कोर्ट में नया दौर: छुट्टियों का बदला अंदाज़
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पारंपरिक ‘ग्रीष्मकालीन छुट्टियों’ को अब एक आधुनिक नाम दिया है—आंशिक कोर्ट कार्य दिवस (Partial Court Working Days)। यह बदलाव सुप्रीम कोर्ट नियमावली, 2013 में संशोधन के बाद आया, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट (द्वितीय संशोधन) नियम, 2024 के नाम से जाना जाएगा। यह नया नियम 5 नवंबर 2024 को अधिसूचित हुआ था।
इन आंशिक कार्य दिवसों की अवधि और अवकाश की संख्या मुख्य न्यायाधीश तय करेंगे, जो राजपत्र में प्रकाशित होगी। यह अवधि रविवार को छोड़कर 95 दिनों से ज्यादा नहीं होगी। पुराने ‘वेकेशन जज’ जैसे शब्दों को भी अलविदा कह दिया गया है, और अब इसे सिर्फ ‘जज’ कहा जाएगा। पहले गर्मी और सर्दी की छुट्टियों में कोर्ट पूरी तरह बंद नहीं होता था; तत्काल मामलों के लिए ‘वेकेशन बेंच’ काम करती थी।
सुप्रीम कोर्ट के 2025 कैलेंडर के मुताबिक, ये आंशिक कार्य दिवस 26 मई 2025 से शुरू होंगे और 14 जुलाई 2025 तक चलेंगे।
जूनियर्स के लिए एक नई सुबह
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम न केवल जूनियर वकीलों को प्रोत्साहित करने वाला है, बल्कि यह कानूनी पेशे में समावेशिता और नई प्रतिभाओं को मौका देने का प्रतीक भी है। यह एक ऐसा कदम है, जो युवा वकीलों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है, जहां वे अपनी काबिलियत से सुप्रीम कोर्ट के गलियारों में अपनी पहचान बना सकते हैं।
तो, क्या यह कानूनी दुनिया में एक नए युग की शुरुआत है? सुप्रीम कोर्ट ने तो राह दिखा दी है, अब बारी है जूनियर वकीलों की, जो इस मौके को सुनहरे भविष्य में बदल दें!