प्राकृतिक अमृत जल कुंड के पानी से बीमारियों से मिलती मुक्ति.!!
जल कुंड का पानी अद्भुत रहस्य, भारतीय वैज्ञानिकों के साथ साथ नासा के वैज्ञानिक आज तक नहीं उठा पाएं रहस्य से पर्दा
प्राकृतिक पहाडिय़ों से घिरा संतोषी माता मंदिर पूरे देश में शक्ति पीठ माना जाता है। चट्टान के बीच प्राकृतिक सौन्दर्य से घिरे मंदिर के मुख्य गर्भगृह की चट्टानें भी मानो शेषनाग की तरह माता की मूर्ति पर छत्रछाया करती नजर आती है। राजस्थान में जोधपुर प्राकृतिक पहाडिय़ों से घिरा संतोषी माता मंदिर पूरे देश में शक्ति पीठ माना जाता है। चट्टान के बीच प्राकृतिक सौन्दर्य से घिरे मंदिर के मुख्य गर्भगृह की चट्टानें भी मानो शेषनाग की तरह माता की मूर्ति पर छत्रछाया करती नजर आती है। जोधपुर के मंडोर रोड कृषि मंडी के पीछे स्थित मंदिर में प्रतिदिन मंदिर में अखंड ज्योत, हवन एवं कीर्तन का आयोजन होता है। जिसमें विदेशी पर्यटक एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं l माता के भक्त कन्याओं का दैवीय रूप में पूजन करते हैं। प्रत्येक बुधवार और शुक्रवार को भी मंदिर में मेले सा माहौल रहता है। मंदिर गर्भगृह से सटे करीब 18 फुट गहरे प्राकृतिक अमृत जलकुंड के ऊपर एक हरे भरे वट वृक्ष की खुली जड़ें जलकुंड के पानी को नमन करती नजर आती हैं। अमृत जलकुंड के पानी से बीमारियों से मुक्ति मुक्ति मिलती है l जल कुंड का पानी अद्भुत रहस्य बना हुआ है l भारतीय वैज्ञानिकों के साथ साथ नासा के वैज्ञानिक भी आज तक नहीं रहस्य से पर्दा नहीं उठापाए l विश्व का अनोखा रहस्य राजस्थान का अमृत जलकुंड वैसे तो देखने में एक साधारण कुण्ड लगता है, लेकिन इसकी खासियत है कि जब भी एशियाई महाद्वीप में कोई प्राकृतिक आपदा घटने वाली होती है तो इस कुण्ड का जलस्तर पहले ही खुद ब खुद बढ़ने लगता है l इस कुण्ड का पुराणों में अमृत कुण्ड के नाम से जिक्र है l यहां बीमारियों से मुक्ति मिलती है l पिछले करीब पौने पांच सौ साल से वट वृक्ष का आकार जस का तस बना हुआ है। यहां माता संतोषी को सिर्फ गुड़ और चना की प्रसादी चढ़ाई जाती है। संतोषी माता की देश भर में एक मात्र प्रगट मूर्ति होने के कारण लोगों की आस्था है। मंदिर में माता के चरण दर्शन हैं। मंदिर विकास के लिए किसी तरह का कोई चंदा नहीं लिया जाता है और ना ही माता की चौकी लगाई जाती है। संतोषी माता का मंदिर के दर्शन करने से लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है l