नई दिल्ली, 18 अप्रैल 2025, शुक्रवार: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में छात्रसंघ चुनाव का बिगुल बज चुका है, और इस बार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने महिला नेतृत्व को केंद्र में रखकर एक मजबूत शुरुआत की है। सेंट्रल पैनल से लेकर काउंसलर पदों तक, अभाविप ने सर्वाधिक महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर न केवल लैंगिक समानता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है, बल्कि विभिन्न स्कूलों के काउंसलर पदों पर निर्विरोध जीत हासिल कर अपनी ताकत का भी परिचय दिया है। यह कदम जेएनयू के परिसर में सकारात्मक और समावेशी बदलाव की नई इबारत लिखने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
महिला नेतृत्व पर अभाविप का अटूट विश्वास
अभाविप ने इस बार सेंट्रल पैनल में अध्यक्ष पद के लिए शिखा स्वराज को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो परिषद की महिला सशक्तीकरण की नीति को और मजबूत करता है। इसके साथ ही उपाध्यक्ष पद पर निट्टू गौतम, सचिव पद पर कुणाल राय और संयुक्त सचिव पद पर वैभव मीणा को उतारा गया है। विशेष रूप से स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज (एसआईएस) की पांच में से तीन काउंसलर सीटों पर महिला उम्मीदवारों को मौका देकर अभाविप ने परिसर में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने का संदेश दिया है।
अभाविप का यह कदम कोई नया नहीं है। बीते वर्षों में भी परिषद ने महिला नेतृत्व को प्रोत्साहित किया है। 2015 में वेलेंटिना ब्रह्मा (उपाध्यक्ष), 2016 में जान्हवी (अध्यक्ष), 2017 में निधि त्रिपाठी (अध्यक्ष), 2018 में गीता श्री बरुआ (उपाध्यक्ष), 2019 में श्रुति अग्निहोत्री (उपाध्यक्ष) और 2024 में दीपिका शर्मा (उपाध्यक्ष) जैसे नाम अभाविप की इस परंपरा को दर्शाते हैं। शिखा स्वराज के नेतृत्व में अभाविप एक बार फिर इस संकल्प को दोहरा रही है।
निर्विरोध जीत: अभाविप की धमाकेदार शुरुआत
चुनावी प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही अभाविप ने विभिन्न स्कूलों के काउंसलर पदों पर अपनी जीत का परचम लहरा दिया है। स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की एकमात्र सीट पर सुरेंद्र बिश्नोई, स्कूल ऑफ संस्कृत एंड इंडिक स्टडीज की तीनों सीटों पर प्रवीण पीयूष, राजा बाबू और प्राची जायसवाल, तथा स्पेशल सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर मेडिसिन की एक सीट पर गोवर्धन सिंह ने निर्विरोध जीत हासिल की है। यह जीत न केवल अभाविप की संगठनात्मक ताकत को दर्शाती है, बल्कि छात्र समुदाय के बीच परिषद के प्रति बढ़ते विश्वास को भी रेखांकित करती है।
छात्रहित और समावेशिता का संदेश
अभाविप दिल्ली के प्रांत सह मंत्री विकास पटेल ने इस मौके पर कहा, “हमारा उद्देश्य जेएनयू में एक स्वस्थ, समावेशी और छात्रोन्मुख परिसर का निर्माण करना है। शिखा स्वराज जैसे सशक्त नेतृत्व और काउंसलर पदों पर महिला उम्मीदवारों की अधिकतम भागीदारी के साथ हम लैंगिक समानता और छात्रहित को प्राथमिकता दे रहे हैं।”
वहीं, अभाविप जेएनयू इकाई अध्यक्ष राजेश्वर कांत दुबे ने निर्विरोध जीत को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “यह जीत छात्रों के भरोसे और हमारे कार्यकर्ताओं के अथक परिश्रम का नतीजा है। अभाविप की राष्ट्रवादी विचारधारा और छात्रहितैषी नीतियां आज परिसर में एक सकारात्मक बदलाव की आधारशिला बन रही हैं। हम पूरे विश्वास के साथ कह सकते हैं कि छात्रसंघ चुनाव में भी हम ऐतिहासिक विजय हासिल करेंगे।”
क्यों खास है अभाविप की रणनीति?
जेएनयू जैसे विश्वविद्यालय, जहां वैचारिक बहसें और राजनीतिक गतिविधियां हमेशा सुर्खियों में रहती हैं, वहां अभाविप की यह रणनीति कई मायनों में अनूठी है। महिला नेतृत्व को बढ़ावा देकर परिषद ने न केवल परंपरागत धारणाओं को चुनौती दी है, बल्कि यह भी दिखाया है कि वह बदलते समय के साथ कदमताल कर रही है। काउंसलर पदों पर निर्विरोध जीत ने अभाविप को चुनावी दौड़ में एक मजबूत बढ़त दी है, और यह संकेत है कि छात्र समुदाय अब परिषद की नीतियों और नेतृत्व पर भरोसा जता रहा है।
आगे की राह
जेएनयू छात्रसंघ चुनाव का यह दौर न केवल अभाविप के लिए, बल्कि पूरे परिसर के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है। शिखा स्वराज और उनकी टीम के नेतृत्व में अभाविप न केवल चुनावी जीत की ओर अग्रसर है, बल्कि वह एक ऐसे परिसर का निर्माण करने की दिशा में भी काम कर रही है, जहां हर छात्र की आवाज सुनी जाए और हर वर्ग को प्रतिनिधित्व मिले।
क्या अभाविप की यह रणनीति जेएनयू के छात्रसंघ चुनाव में ऐतिहासिक बदलाव लाएगी? यह सवाल हर किसी के मन में है। लेकिन एक बात तय है—अभाविप ने अपनी दमदार शुरुआत और महिला नेतृत्व पर भरोसे के साथ परिसर की सियासत में एक नई हलचल पैदा कर दी है।