तेराजाकेट (कन्नौज)। परियोजना निदेशक (पीडी) की प्रताड़ना से परेशान ब्लाक कर्मी ने सरकारी आवास में सुसाइड नोट लिखने के बाद फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने शव को फंदे से नीचे उतरवाकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया। आत्महत्या की जानकारी होने पर साथी ब्लाक कर्मियों ने आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर हंगामा किया। देर रात पुलिस ने मृतक के पुत्र की तहरीर पर पीडी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने की रिपोर्ट दर्ज की है।
जनपद बलिया के उभाव थानांतर्गत ग्राम टगुनिया निवासी अशोक सविता कन्नौज विकास खंड मुख्यालय में प्रधान सहायक के पद पर तैनात थे। बीते काफी समय से तालग्राम विकास खंड परिसर में बने सरकारी आवास में रहते थे। रात नौ बजे ब्लाक कर्मियों के साथ टहलने के बाद वे आवास में सोने चले गए। सुबह आठ बजे तक आवास का दरवाजा न खुलने पर ब्लाक कर्मी प्रमोद ने आवाज देकर बुलाया। अंदर से प्रतिक्रिया न देख उन्होंने धक्का देकर दरवाजा खोला। अशोक का शव कमरे की छत पर लगे कुंडे से फंदे पर झूल रहा था। सभी ब्लाक कर्मी आवास के बाहर एकत्रित हो गए। इसी बीच सरायप्रयाग चौकी इंचार्ज प्रशांत गौतम पुलिस बल के साथ पहुंच गए। शव को नीचे उतरवाया। कमरे में ही मेज पर रखे सुसाइड नोट को पुलिस ने कब्जे में ले लिया।
गुरसहायगंज कोतवाल राजकुमार सिंह ने ब्लाक कर्मियों के आक्रोश को देखते हुए कोतवाली भिजवाने के लिए शव को पिकअप में रखवा दिया। इस पर ब्लाक कर्मी संजीव यादव, स्थापना लिपिक विनय मिश्रा से नोकझोंक शुरू हो गई। डीडीओ नरेंद्र कुमार ने कर्मचारियों को समझा बुझाकर शांत किया। इधर, देर रात मृतक के पुत्र ने पीडी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने की तहरीर दी। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है।
हंगामे के बाद सार्वजनिक किया गया सुसाइड नोट
ब्लाक कर्मी के फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेने की जानकारी होने पर ग्राम विकास मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष संजीव यादव मौके पर पहुंच गए। उनके नेतृत्व में ब्लाक कर्मियों ने सुसाइड नोट सार्वजनिक करने की मांग करते हुए धरना शुरू कर दिया। हंगामा बढ़ता देख सुसाइड नोट पढ़कर सुनाया गया।
सरकारी आवास खाली कराने की दे रहे थे धमकी
आत्महत्या से पहले लिखे गए सुसाइड नोट में अशोक सविता ने लिखा है कि पीडी सुशील कुमार के पास कन्नौज ब्लाक के बीडीओ का अतिरिक्त चार्ज है। वे लगातार तालग्राम ब्लाक का सरकारी आवास खाली कराने का दबाव बना रहे थे। इसी कारण तीन माह से वेतन भी नहीं दिया गया था। तीन दिन से अस्वस्थ होने के कारण अशोक ड्यूटी पर नहीं जा रहे थे। आत्महत्या से पहले गुरुवार को साथी कर्मचारियों को पीडी की प्रताड़ना की जानकारी देते हुए फफक-फफक कर रोए थे।
पीडी को सुनाई खरी खोटी
अशोक सविता के आत्महत्या किए जाने की जानकारी होने पर सबसे पहले पीडी सुशील कुमार सिंह ही तालग्राम ब्लाक परिसर में पहुंचे। उस समय कोतवाल राजकुमार सिंह मौजूद थे। सचिव विमल दुबे, स्थापना लिपिक विनय मिश्रा ने पीडी को आत्महत्या का दोषी मानते हुए खरी-खोटी सुनाई। स्थिति बिगड़ती देख कोतवाल राजकुमार के कहने पर पीडी वहां से चले गए।
हंगामे की सूचना पर पहुंचे अफसर
आत्महत्या के बाद ब्लाक परिसर में कर्मचारियों के हंगामे की सूचना पर डीएम राकेश कुमार मिश्रा, एसपी प्रशांत वर्मा, सीडीओ आरएन सिंह, एसडीएम देवेश गुप्ता, बीडीओ अमित सिंह भी मौके पर पहुंच गए। साथी कर्मचारियों से घटना की जानकारी ली।
सीडीओ ने खत्म कराया धरना
ग्राम विकास मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष संजीव यादव के नेतृत्व में ब्लाक कर्मी अखिलेश, संतोष, आशुतोश, विनय मिश्रा, विमल दुबे, गिरजेश तिवारी, ललित कांत, रवि प्रताप सिंह, राज विक्रम सिंह, आदित्य, संजय दोहरे, बन्नाम सिंह, मनोज यादव, प्रियंका सिंह, भावना यादव, पूजा सिंह व पिंकी चतुर्वेदी सहित कई कर्मचारी ब्लाक परिसर में ही धरने पर बैठ गए। दोषी के खिलाफ कार्रवाई एवं सुसाइड नोट सार्वजनिक होने के बाद सीडीओ आरएन सिंह ने कर्मचारियों का धरना
समाप्त कराया।
पीडी की बात
जिला ग्राम्य विकास अभिकरण के परियोजना निदेशक सुशील कुमार सिंह का कहना है कि अशोक सविता अवस्थापना लिपिक होने के नाते खुद वेतन बनाते थे। नवंबर माह का वेतन उन्होंने किसी का नहीं बनाया। इधर, सात दिन से व्यस्तता के चलते मेरी मुलाकात अशोक से नहीं हुई। अलबत्ता उन्होंने 30 दिसंबर को तबीयत खराब होने का व्हाटसएप मैसेज भेजा था। घटना दुखद है, मेरे खुद समझ में नहीं आ रहा कि सुसाइड नोट में मुझ पर क्यों आरोप लगाया गया है। अशोक ने अपना दो माह का वेतन नहीं बनाया था। पेरोल डीडीओ के पास भेजा जाता है। वे दो दिन बिना बताए अनुपस्थित थे तो मैंने कहा था कि दो दिन का स्पष्टीकरण दीजिए या फिर वेतन काट कर पेरोल तैयार कर दीजिए।