नई दिल्ली, 23 मई 2025, शुक्रवार। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आतंकवाद और पाकिस्तान के मुद्दे पर यूरोप को आईना दिखाते हुए साफ-साफ शब्दों में अपनी बात रखी। नीदरलैंड के एक चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने यूरोपीय देशों की उस सोच पर करारा प्रहार किया, जो भारत को उपदेश देती है, जबकि खुद दशकों तक भू-राजनीतिक स्थिरता के साये में रही है। जयशंकर का यह बयान न केवल भारत की कठिन परिस्थितियों को रेखांकित करता है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत और स्पष्ट नीति को भी सामने लाता है।
80 सालों की चुनौती: भारत की सच्चाई
जयशंकर ने कहा, “यूरोप को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से शांति और स्थिरता का दौर मिला, खासकर 1991-92 के बाद से तो हालात और बेहतर हुए। लेकिन हम भारतवासी पिछले 8 दशकों से लगातार संघर्ष और आतंकवाद की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।” उन्होंने दो कठिन पड़ोसियों—चीन और पाकिस्तान—का जिक्र करते हुए कहा कि पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद भारत के लिए हमेशा से एक गंभीर समस्या रहा है। “आप (यूरोप) अब जाग रहे हैं, लेकिन हम इस सच्चाई को लंबे समय से जी रहे हैं।”
राष्ट्रीय सुरक्षा: भारत की प्राथमिकता
जब पत्रकार ने सुझाव दिया कि भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच तनाव खत्म होने से तीनों देश तेजी से प्रगति कर सकते हैं, तो जयशंकर ने इसे यूरोप की भोली सोच करार दिया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “आप ऐसा इसलिए कह सकते हैं, क्योंकि आप यूरोप में बैठे हैं, जहां दशकों तक भू-राजनीतिक स्थिरता रही। हमारे लिए राष्ट्रीय सुरक्षा आर्थिक समृद्धि से भी पहले है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत की सुरक्षा चुनौतियां यूरोप के मुकाबले कहीं अधिक जटिल और गंभीर हैं। भारत ने हमेशा इन चुनौतियों का डटकर सामना किया है, और सुरक्षा को प्राथमिकता देना उसकी मजबूरी नहीं, बल्कि जरूरत है।
यूरोप का रियलिटी चेक
जयशंकर ने यूरोप की उस मानसिकता पर भी सवाल उठाए, जो आतंकवाद जैसी गंभीर समस्या को नजरअंदाज करती रही। “आपने यह मान लिया कि सब कुछ सामान्य है, क्योंकि आपके पास भू-राजनीतिक स्थिरता थी। लेकिन हमारी हकीकत अलग है। हम 80 सालों से इस रियलिटी के साथ जी रहे हैं।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यूरोप अब भले ही इस सच्चाई को समझ रहा हो, लेकिन भारत के लिए यह कोई नई बात नहीं है।