वाराणसी, 24 सितंबर। भोले की नगरी में काशी में दुर्गा पूजा के उत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। शहर में जगह-जगह दुर्गापूजा के उत्सव के लिए पंडाल बनाए जा रहे हैं और काशी इन दिनों मिनी बंगाल में बदलता नजर आ रहा है। काशी को यूं ही नहीं मिनी बंगाल कहा जाता है। कोलकाता के बाद काशी में दुर्गा पूजा उत्सव देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु आते हैं। ऐसे में इस बार कई खास पंडाल और मां दुर्गा के प्रतिमा के दर्शन भी भक्तों को होंगे। शक्ति की आराधना के महापर्व पर शारदीय नवरात्र अगले महीने की शुरुआत में है। दुर्गा पूजा को लेकर शहर के विभिन्न स्थानों पर पंडाल सजाने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। हर साल कुछ अनूठा करने के लिए मशहूर वाराणसी के चेतगंज मोहल्ले में स्थित सनातन धर्म इंटर कॉलेज के पूजा पंडाल में इस बार जयपुर का शीशमहल नजर आयेगा। यहां आने के बाद श्रद्धालुओं को एक अलग ही अहसास होगा। इतना ही नहीं, इस बार भी पंडाल में प्रदेश की सबसे ऊंची देवी प्रतिमा विराजमान की जायेगी। पंडाल के अंदर माता की झांकी स्वर चलित यंत्रों के जरिये सजाई जाएगी। माता दुर्गा द्वारा महिषासुर वध का इलेक्ट्रॉनिक शो एक बार फिर भक्तों के बीच आर्कषण का केंद्र रहेगा।
25 फुट के शिवलिंग में प्रकट होंगी देवी : श्रीदुर्गा पूजा समिति सनातन धर्म इंटर कालेज, नई सड़क हर वर्ष अद्भुत पूजा पंडाल सजाने के लिए पूरे प्रदेश में विख्यात है। समिति के अध्यक्ष जगत किशोर चौरसिया हैं। वर्ष 2022 में काशी विश्वनाथ धाम, 2023 में केदारनाथ धाम सजाने के बाद इस बार जयपुर के शीशमहल की तर्ज पर हुबहू पंडाल की सजावट की जा रही है। समिति के कार्यवाहक अध्यक्ष सूरज जायसवाल एवं महासचिव मुकेश जायसवाल ने बताया कि लगातार दूसरे साल भी प्रदेश की सबसे ऊंची 24 फुट की दुर्गा प्रतिमा पंडाल में सुशोभित होगी। देवी 25 फुट के शिवलिंग से प्रकट होंगी। यह थीम अर्द्धनारीश्वर स्वरूप पर दिया गया है। प्रतिमा का निर्माण पंडाल स्थल पर ही किया जा रहा है। पांच मूर्तिकार इसे आकार दे रहे हैं।
इलेक्ट्रानिक शो होगा खास : पंडाल में छह से सात मिनट का इलेक्ट्रानिक शो होगा। इसके लिए देवी प्रतिमा और असुर प्रतिमा चलायमान नजर आएगी। इसमें देवी प्रतिमा की नेत्र, पुतलियां और गर्दन हिलती- डुलती दिखेगी। 14 फुट की असुर प्रतिमा में भी ऐसा ही दिखेगा। वध के बाद असुर का गर्दन अलग हो जायेगा। पंडाल सप्तमी को खुलेगा और शो सायं छह बजे से अगले दिन प्रातः छह बजे तक कुछ देर के अंतराल पर चलता रहेगा।
55 फुट ऊंचा शीशमहल : 55 फुट ऊंचा शीशमहल को लोहे के फ्रेम से बनाया जा रहा है। प्रतिमा के लिए मंच 50 गुणे 20 फीट का बनाया जा रहा है। इसमें शीशे का ही काम रहेगा। शीशे में पेड़, देवी-देवताओं सहित तरह-तरह की आकृतियां नक्काशीनुमा रहेगी। साथ ही वास्तविक शीशमहल की तरह रंगों का भी प्रयोग रहेगा। पंडाल बनाने का काम 19 सितम्बर से शुरू हुआ है और यह पांच अक्टूबर तक पूरा हो जायेगा। कुल 20 कारीगर दिन-रात काम कर रहे हैं।
सुरक्षा व भीड़ नियंत्रण की पूरी व्यवस्था : पूजा पंडाल में सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किये गए हैं। सीसीटीवी से लैस पंडाल में आग से बचाव के लिए भी पानी, बालू सहित आवश्कय अग्निशमन उपकरण की व्यवस्था रहेगी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रवेश और निकास अलग-अलग हैं और समिति के वॉलिंटियर इसके लिए तैनात रहेंगे।