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Tuesday, July 8, 2025

जगद्गुरु परमहंस दास का ताजमहल में प्रवेश विवाद, एएसआई ने जारी किया बयान- भगवा कपड़े नहीं ब्रह्मदंड के साथ नहीं दिया गया प्रवेश

अयोध्या की तपस्वी छावनी के उत्तराधिकारी परमहंस दास मंगलवार को ताजमहल पहुंचे थे। महंत और उनके शिष्यों ने भगवा पहने होने की वजह से प्रवेश से रोके जाने के आरोप लगाए।  इस मामले में अब विवाद बढ़ता जा रहा है। गुरुवार सुबह हिंदू महासभा ने संत को ताजमहल में प्रवेश करने से रोकने को लेकर रोष प्रकट किया। वहीं इस मामले में अधीक्षण पुरातत्वविद ने बयान जारी करते हुए बताया कि भगवा कपड़े का कोई मामला नहीं है। गाइडलाइन के अनुसार जगद्गुरु परमहंस दास को ब्रह्मदंड के साथ ताजमहल में जाने की अनुमति नहीं दी गई थी।

ताज सुरक्षा से ट्वीट मिलने के बाद हुई जानकारी

अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि 26 अप्रैल को ताजमहल में कुछ लोग भगवा वस्त्र में वेस्ट गेट पर आए थे। उनमें से एक साधु के हाथ में दंड था। ताजमहल परिसर में इस प्रकार की वस्तु ले जाना प्रतिबंधित है। गेट पर साधु को दंड को बाहर रखकर आने के लिए बताया, जिसको सुनकर वे गेट से चले गए और वापस नहीं आए। 27 अप्रैल को ताज सुरक्षा से ट्वीट प्राप्त हुआ, तब पता चला की ये साधु जगद्गुरु परम हंस आचार्य थे और ट्वीट मंहत धर्मेंद्र गिरी द्वारा किया गया है।

ब्रह्मदंड के साथ ताजमहल में प्रवेश करना चाहते थे जगद्गुरु 

बता दें  परमहंस दास ब्रह्मदंड के साथ ताजमहल में प्रवेश करना चाहते थे, लेकिन सुरक्षा में तैनात सीआईएसएफ ने उनसे ब्रह्मदंड को गेट पर रखने और ताज देखने के बाद लौटने पर वापस लेने का आग्रह किया था, लेकिन वह ब्रह्मदंड के साथ ही ताज में प्रवेश करना चाहते थे। रोकने पर वह वापस चले आए। उन्होंने इस मामले में प्रवेश के नियमों को लेकर नाराजगी जताई।

ताजमहल में प्रवेश के लिए तय हैं नियम

परमहंस दास ने कहा कि ताजमहल शिव मंदिर है और वह इसे देखने आए थे। लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें प्रवेश नहीं करने दिया। इस मामले में एएसआई अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने बताया कि ताजमहल में प्रवेश के लिए नियम तय हैं। संत अपने साथ अंदर लोहे का दंड ले जाना चाहते थे, जिसके लिए उन्हें मना किया गया। उनके प्रवेश पर कोई मनाही नहीं थी। ब्रह्मदंड गेट पर रखने का आग्रह किया गया था, लेकिन वह तैयार नहीं हुए।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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