यूरोपियन यूनियन (ईयू) से जुड़े देशों में रूस के मामले में लाचारी का भाव गहराने लगा है। इन देशों में आम राय है कि अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तो ईयू के लिए उसके गंभीर आर्थिक परिणाम होंगे। लेकिन रूस को रोकने के लिए क्या किया जाए, ईयू के लिए यह तय करना मुश्किल हो रहा है। हालांकि उसने नए प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है, लेकिन उसका अंदरूनी आकलन यह है कि रूस अब तक लगाए गए प्रतिबंधों को सहने में सक्षम साबित हुआ है।
ईयू की चिंता यह है कि नए प्रतिबंधों से रूस ज्यादा प्रभावित नहीं होगा। खास कर यह देखते हुए कि चीन उसके साथ मजबूती से खड़ा है। ईयू ने धमकी दी है कि अगर रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तो उसे भुगतान की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था- स्विफ्ट से बाहर कर दिया जाएगा। लेकिन जानकार नहीं मानते कि अब ऐसे कदम से रूस की अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त होगी। रूस पहले ही चीन के साथ मिल कर भुगतान की नई प्रणाली कायम करने की शुरुआत कर चुका है।
रूस ने 2014 में यूक्रेन के हिस्से क्राइमिया को खुद में मिला लिया था। तब से ईयू के सख्त प्रतिबंध उस पर लागू हैँ। मगर उनसे ईयू रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन को नियंत्रित करने में नाकाम रहा है। रूस की रिसर्च यूनिवर्सिटी साइंस पो में भू-राजनीति की लेक्चरर एनेस्तेसिया शापोचकिना ने फ्रांस के टीवी चैनल फ्रांस-24 से कहा- ‘नए प्रतिबंधों का सामना रूस उसी तरह कर लेगा, जैसा उसने 2014 में किया था। कई वर्षों से लगाए जा रहे प्रतिबंधों का रूस पर मामूली असर ही हुआ है।’ शापोचकिना ने कहा- ‘रूस का मनोबल बढ़ा हुआ है, क्योंकि वह प्रतिबंधों की नहीं, बल्कि मशीन गन की भाषा बोलता है।’
रूस में पश्चिम विरोधी भावनाएं भड़कीं
भू-राजनीति के जानकार कई दूसरे विशेषज्ञों की राय है कि सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का हिस्सा ना बना कर पश्चिमी देशों ने गलती की। अब उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है।
यूक्रेनी मूल के पूर्व रूसी राजनयिक व्लादीमीर
फेदोरोवस्की ने फ्रांस-24 से कहा- ‘सोवियत संघ के खत्म होने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस के मकसद को समझने में गलती की। ये देश शीत युद्ध में विजयी होने का दावा करने लगे। इससे रूस में पश्चिम विरोधी भावनाएं भड़कीं। पुतिन ने उन्हीं भावनाओं का फायदा उठाया।’
विशेषज्ञों का कहना है कि नाटो के प्रसार को रूस अपने अस्तित्व के लिए खतरा समझता है। वह मानता है कि पश्चिमी देश यूक्रेन का इस्तेमाल रूस को नष्ट करने के लिए करना चाहते हैँ। फेदोरोवस्की ने कहा- पश्चिमी देशों ने यूक्रेन की सेना को बहुत शक्तिशाली बना दिया है। यूक्रेन आज रूस पर हमला बोलने में सक्षम है। लेकिन ऐसा होने पर रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन यूक्रेनी हमले का जवाब देने को मजबूर हो जाएंगे। कुछ विश्लेषकों की राय है कि पश्चिमी देशों से टकराव बढ़ने पर रूस में पुतिन की लोकप्रियता बढ़ेगी। साथ ही तब रूस चीन के साथ अपने संबंधों को और मजबूत बनाने की कोशिश करेगा। इन विश्लेषकों की सलाह है कि पश्चिम को ऐसी रणनीति से बचना चाहिए। उसे उस समय तक का इंतजार करना चाहिए, जब रूस की घरेलू समस्याएं पुतिन पर भारी पड़ने लगे।