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Tuesday, July 8, 2025

इसरो खुद से खत्म होने वाले रॉकेट्स और सैटेलाइट बनाने की तैयारी कर रहा 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉ से प्रतिस्पर्धा करने के लिए भविष्य की तकनीकों पर काम कर रही है। इसरो खुद से खत्म होने वाले रॉकेट्स और सैटेलाइट बनाने की तैयारी कर रहा है। इसकी जानकारी खुद इसरो के चेयरमैन के सिवन ने दी।

हम एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहे हैं जिसमें रॉकेट खुद को ही पूरी तरह खा लेंगे, जिससे न तो समुद्र में कचरा गिरेगा और न ही अंतरिक्ष में मलबा बनेगा। हम रॉकेट की बॉडी बनाने के लिए किसी खास धातु की तलाश में हैं, जो मोटर के साथ खुद को खत्म कर सके।’ सिवन ने कहा, ‘जब रॉकेट उड़ान भरते हैं तो कभी-कभी उनमें कुछ गड़बड़ियां आ जाती हैं। सेल्फ-हीलिंग मैटेरियल्स से ये खुद ही अपनी गड़बड़ियों को दूर कर सकते हैं।’

इस दौरान उन्होंने कई तरह की नई तकनीकों का जिक्र किया। उदाहरण के तौर पर, क्वांटम आधारित सैटेलाइट, क्वांटम राडार, सेल्फ ईंटिंग रॉकेट, खुद से खत्म होने वाले सैटेलाइट, खुद से ठीक होने वाली वस्तुएं, ह्यूमेनॉयड रोबोट, अंतरिक्ष आधारित सोलर पावर, इंटेलिजेंट सैटेलाइट, स्पेस व्हीकल्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित स्पेस एप्लीकेशन आदि। इसरो हैक न हो सकने वाली संचार प्रणाली विकसित करने की भी योजना बना रही है।  ऐसे ही इसरो एक-दो नहीं बल्कि ऐसी 46 फ्यूरिस्टिक टेक्नॉलजीज पर काम चल रहा है।

इसरो प्रमुख का कहना है कि जिन तकनीकों की बात की जा रही है, उनपर अंतरिक्ष विभाग और इसरो के विभिन्न सेंटर्स पर काम चल रहा है। अगर सभी सेंटर्स सामंजस्य के साथ काम करते रहेंगे तो बहुत जल्द हम इन तकनीकों को लैब से बाहर निकालकर सामान्य उपयोग में ला सकेंगे।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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