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Monday, June 30, 2025

महामारी से लड़ने में इसरो आया आगे, बनाए अंतरराष्ट्रीय स्तर के वेंटिलेटर

DRDO के बाद अब देश का अंतरिक्ष संस्थान भी कोरोना से लड़ाई में आगे आया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने तीन प्रकार के वेंटिलेटर विकसित किए हैं। इन उपकरणों को चिकित्सीय ​​​​उपयोग के लिए बाजार में उपलब्ध करने लिए इसरो लिए आगे आया है। देश इस समय कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं उपकरण

हाल ही में ISRO के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) ने कहा है कि “उसने तीन अलग-अलग प्रकार के वेंटिलेटर और एक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का विकास किया है।” विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक एस सोमनाथ ने कहा कि, “डिजाइन और विशेषताओं के आधार पर, हमने उन्हें नाम दिया है, प्राण, वायु और स्वस्ता। ये तीनों उपयोगकर्ता के अनुरूप हैं। ये पूरी तरह से स्वचालित और टच-स्क्रीन के साथ ही, सभी सुरक्षा मानकों को पूरा करते हैं।” निदेशक ने आगे कहा कि, “डॉक्टरों और अन्य विशेषज्ञों ने इसकी प्रभावकारिता की जांच करने के बाद पुष्टि की है कि यह तीनों अंतरराष्ट्रीय स्तर की मशीन हैं।”

कैसे काम करते हैं उपकरण

बता दें कि, प्राण, अम्बु (आर्टिफिशियल मैनुअल ब्रीदिंग यूनिट) बैग के ऑटोमेटेड कंप्रेसर द्वारा रोगी को सांस लेने वाली गैस पहुंचाने के लिए है। स्वस्ता को बिजली के बिना काम करने के लिए डिजाइन किया गया है और वायु (VaU) कम लागत वाला वेंटिलेटर है, जो व्यावसायिक रूप से उपलब्ध उच्च-स्तर के वेंटिलेटर के बराबर है। निदेशक एस. सोमनाथ ने कहा कि, “इस प्रणाली की परिकल्पना एक दोहरे मोड वेंटिलेटर के रूप में की गई है, जो अस्पताल से मेडिकल एयर / ऑक्सीजन के साथ या परिवेशी ऊर्जा के साथ काम कर सकती है।”

एक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी विकसित किया

विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने एक मेडिकल ऑक्सीजन कंसंट्रेटर भी विकसित किया है, जिसे ‘श्वास’ नाम दिया गया है। इसके बारे में निदेशक ने कहा कि, “यह एक मिनट में दो रोगियों के लिए पर्याप्त, प्रति घंटे 10 लीटर समृद्ध ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में सक्षम है,।” उन्होंने आगे कहा कि, “Pressure Swing Adsorption (PSA) के माध्यम से यह आस-पास की वायु में से नाइट्रोजन गैस को अलग करके ऑक्सीजन गैस की मात्रा को बढ़ाता है।”

पिछले साल से ही काम करना शुरू कर दिया था

दरअसल VSSC ने मार्च 2020 में कोरोना की पहली लहर के दौरान ही इन वेंटिलेटरों पर काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन पिछले साल के अंत में यह काम धीमा हो गया। हालांकि, संस्थान को दूसरी लहर के बाद काम में तेजी लाने के लिए कहा गया, जिसमें वेंटिलेटर, ऑक्सीजन और कोविड -19 से संबंधित दवाइयां है।

महामारी में इसरो ने और भी सहायता दी है

गौरतलब है कि यह ISRO की पहली मदद नहीं है, इससे पहले तमिलनाडु और केरल को 9.5 टन मेडिकल ऑक्सीजन दिया जा चुका है। ISRO प्रमुख डॉक्टर के. सिवान ने खुद सुनिश्चित किया है और यह भी कहा कि, ” अंतरिक्ष संगठन ने आंध्र प्रदेश में ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाने के लिए 12 मीट्रिक टन LOX भेजा है।”

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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