तेल अवीव/तेहरान, 14 जून 2025: मध्य पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है, क्योंकि इजरायल ने ईरान के खिलाफ अपने सैन्य अभियान “ऑपरेशन राइजिंग” को और तेज कर दिया है। इजरायली सेना ने शनिवार तड़के ईरान के शिराज, तबरीज और नतांज में स्थित तीन महत्वपूर्ण न्यूक्लियर साइट्स पर हवाई हमले किए, जिससे इन सुविधाओं को भारी नुकसान पहुंचा है। इस हमले ने दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों को और गंभीर बना दिया है।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कड़े शब्दों में ईरान को चेतावनी देते हुए कहा, “यह तो बस शुरुआत है। हम ईरान के परमाणु खतरे को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कोई भी इजरायल के अस्तित्व को चुनौती देने की हिम्मत नहीं कर सकता।” नेतन्याहू ने साफ किया कि यह अभियान तब तक जारी रहेगा, जब तक ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह नष्ट नहीं हो जाता।
अमेरिकी समर्थन और इजरायली आक्रामकता
इस हमले से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को सख्त चेतावनी दी थी, जिसमें उन्होंने तेहरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाने की बात कही थी। इजरायली सैन्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा, “हमारे हवाई हमलों ने ईरान की न्यूक्लियर सुविधाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। यह अभियान लंबा और निर्णायक होगा।” उन्होंने संकेत दिया कि इजरायल और भी बड़े हमलों की योजना बना रहा है।
ईरान का जवाबी हमला और चेतावनी
दूसरी ओर, ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने राष्ट्र के नाम संबोधन में इजरायल को कड़ा जवाब देने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “इजरायल की यह आक्रामकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। हम अपने देश की संप्रभुता और सम्मान की रक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएंगे।” ईरानी सेना ने भी जवाबी कार्रवाई के संकेत दिए हैं, जिससे क्षेत्र में और हिंसा भड़कने की आशंका बढ़ गई है।
वैश्विक चिंता और तनाव
इजरायल के इस हमले ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हलचल मचा दी है। संयुक्त राष्ट्र और कई देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघर्ष क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। तेल की कीमतों में उछाल और क्षेत्रीय अस्थिरता की आशंका ने वैश्विक बाजारों को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है।
जैसे-जैसे यह जंग तेज होती जा रही है, दुनिया की निगाहें मध्य पूर्व पर टिकी हैं। क्या यह संघर्ष और विनाशकारी मोड़ लेगा, या कूटनीतिक प्रयास इसे थाम पाएंगे? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।