नई दिल्ली, 17 दिसंबर 2024, मंगलवार। उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के पास नखासा थाना क्षेत्र के खग्गू सराय इलाके में मिले 46 साल पुराने मंदिर को पुलिस की मौजूदगी में खोलने के अगले दिन डीएम और एसपी पहुंचे थे। उन्होंने मंदिर के पुजारी से बातचीत की और मंदिर से जुड़े कई सवाल पूछे। इसके अलावा, उन्होंने मंदिर में बैठकर पूजा भी की।
अब सवाल यह है कि क्या अफसर वर्दी में पूजा कर सकते हैं? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमें नियमों को समझना होगा।
भारतीय संविधान की धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी!
क्या आप जानते हैं कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार, हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने की अनुमति है? चाहे वह किसी भी पद पर हो या सामान्य आदमी हो, हर किसी को अपने धर्म को मानने, अभ्यास करने और प्रचार करने का अधिकार है। यह अनुच्छेद धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है और हर भारतीय को अपने धर्म के अनुसार जीने की आजादी देता है। इसके अलावा, अनुच्छेद 26, 27 और 28 भी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को मजबूत बनाते हैं।
वर्दी में पूजा करना सही या गलत? अफसरों की धार्मिक स्वतंत्रता पर नियम क्या कहते हैं?
नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के अनुसार, अफसरों के सार्वजनिक रूप से अपनी धार्मिक मान्यता का प्रदर्शन करने के बारे में आईएएस-आईपीएस की सर्विस बुक में आचरण नियमावली मौन है। हालांकि, वे एक व्यक्ति के रूप में अपने परिसर में पूजा-पाठ या अपनी किसी भी धार्मिक मान्यता का पालन करने के लिए स्वतंत्र हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान किया गया है। यह अधिकार सभी नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने और उसका प्रचार करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।
हालांकि, नीतिगत स्तर पर जब कोई अफसर वर्दी में होता है, तो उससे अपेक्षा की जाती है कि वह तटस्थ रूप से अपनी धार्मिक भावनाओं पर संयम रखते हुए काम करेगा। ऐसे में किसी वर्दीधारी अफसर को सार्वजनिक रूप से किसी मंदिर आदि में पूजा से बचना चाहिए। अगर वे सादे कपड़ों में केवल दर्शन-पूजन के लिए जाते हैं तो बात अलग है।