दोहा, 24 जून 2025: ईरान ने कतर की राजधानी दोहा में अमेरिकी सैन्य ठिकाने को निशाना बनाते हुए 6 मिसाइलें दागीं, जिससे खाड़ी क्षेत्र में तनाव चरम पर पहुंच गया है। यह हमला अमेरिका द्वारा ईरान के तीन न्यूक्लियर साइट्स पर किए गए हमले के 36 घंटे बाद हुआ। ईरान ने इसे अमेरिका के खिलाफ जवाबी कार्रवाई बताया, लेकिन सवाल यह है कि आखिर अमेरिका की सजा कतर को क्यों मिली? इस हमले के पीछे पांच बड़े कारण सामने आए हैं।
कतर पर मिसाइल हमले से हड़कंप
ईरान की ओर से दागी गईं मिसाइलों ने दोहा में अफरा-तफरी मचा दी। कतर ने तुरंत अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया। हमले का निशाना कतर में मौजूद अमेरिका का अल उदीद एयर बेस था, जो खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य ठिकाना है। ईरान ने दावा किया कि यह हमला अमेरिका को सबक सिखाने के लिए था, लेकिन कतर को निशाना बनाने की रणनीति ने सबको चौंका दिया।
कतर क्यों बना निशाना? पांच कारण
पड़ोसी होने का फायदा: कतर ईरान का सबसे नजदीकी पड़ोसी है। हमले के लिए ईरान को किसी अन्य देश के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करना पड़ा, जिसने कतर को आसान निशाना बनाया।
अमेरिका का ‘बिचौलिया’: कतर में अमेरिका का अल उदीद एयर बेस स्थित है, जिसके जरिए अफगानिस्तान, इराक और सीरिया में सैन्य अभियान चलाए गए। यह बेस अमेरिका की क्षेत्रीय रणनीति का केंद्र है।
CENTCOM का अड्डा: कतर में अमेरिका की सेंट्रल कमांड (CENTCOM) का अग्रिम मुख्यालय है। खाड़ी क्षेत्र में तैनात 50 हजार अमेरिकी सैनिकों में से करीब 10 हजार कतर में हैं।
कतर की तटस्थता पर गुस्सा: अमेरिका के हमले के बाद तुर्की और पाकिस्तान ने खुलकर निंदा की, लेकिन कतर ने तटस्थ रुख अपनाया। इससे ईरान का गुस्सा कतर पर भड़क उठा।
अमेरिका को कड़ा संदेश: ईरान ने कतर में अमेरिका के सबसे बड़े सैन्य ठिकाने पर हमला कर अपनी मंशा साफ कर दी। राष्ट्रपति पेजकेशियन ने कहा, “हमने युद्ध शुरू नहीं किया, यह हम पर थोपा गया है।”
रूस के इशारे पर हमला?
अमेरिका ने 22 जून को ईरान के न्यूक्लियर साइट्स पर हमला किया था। इसके बाद ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघाची मॉस्को पहुंचे और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। पुतिन ने अमेरिकी हमले की निंदा की, और माना जा रहा है कि रूस के समर्थन ने ईरान को हमले के लिए उकसाया।