11 अक्टूबर यानी आज शुक्रवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान की मुलाकात होने वाली है । दोनों नेताओं की यह मुलाकात तुर्कमेनिस्तान में आयोजित एक कार्यक्रम से इतर होगी। दोनों देशों के शीर्ष नेताओं की यह मुलाकात ऐसे समय हो रही है, जब इस्राइल ईरान के बीच तनाव चल रहा है और पूरी दुनिया की नज़र ईरान और इज़राइल पर है ।
दोनों नेताओं की मुलाकात के क्या हैं मायने
उल्लेखनीय हांकी सोवियत संघ का विघटन हुआ था तब उस समय में ईरान और रूस एक दूसरे के कट्टर आलोचक थे । लेकिन मौजूदा समय में विश्व की बदली परिस्थितियों के बीच दोनों देश पिछले कुछ सालों से एक दूसरे के काफ़ी करीब आ गए हैं। दोनों फ़ैशन के क़रीब आने की एक बड़ी वजह दोनों देशों पर लगे पश्चिमी प्रतिबंधों भी है जिसने दोनों देशों को करीब लाने में अहम भूमिका निभाई है।
अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते ईरान को एक ऐसे ताकतवर देश की जरूरत थी जो उन्हें हथियारों की सप्लाई कर सके। वहीं यूक्रेन युद्ध के चलते अलग-थलग पड़े रूस को ईरान के रूप में रक्षा और आर्थिक क्षेत्र में एक मजबूत सहयोगी मिला ।
जहां पश्चिमी देश सीरिया में रुस के हस्तक्षेप के ख़िलाफ़ हैं लेकिन बात अगर रुस और ईरान के अपने हितों की करें तो सीरिया में भी दोनों देशों के साझा हित हैं और रूस सीरिया की मौजूदा सरकार को सत्ता में बने रहने में मदद करता रहाता है। वहीं ईरान की सरकार का भी सीरिया की मौजूदा सरकार को समर्थन है।
इधर इस्राइल आतंकवाद ,इस्लामिक विस्तारवाद और उग्रवाद के ख़िलाफ़ लगभग छह फ़्रंट पर युद्ध लड़ रहा है । इज़राइल द्वारा लगातार सीरिया पर हमले किए जा रहे हैं। इज़राइल के साथ -साथ पश्चिमी देश भी सीरिया की मौजूदा सरकार को सत्ता से हटाना चाहते हैं। ऐसे में सीरिया के मुद्दे पर ईरान और रूस एक ही प्लेटफार्म पर हैं और दोनों देशों के बीच बढ़ रही नजदीकीयों की ये भी एक वजह मानी जाती है।
दूसरी तरफ़ इस्राइल और ईरान के संबंध को अगर देखें तो हिबुल्लाह चीफ नस्रुल्लाह के मारे जाने के बाद जिस तरह ईरान ने इज़राइल पर भारी हमला किया उसे सीधे सीधे ईरान द्वारा इज़राइल को युद्ध के ललकारना माना जा रहा है । उसके बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। बता दें कि बीते दिनों ईरान द्वारा इस्राइल पर हवाई हमला किया गया था। जिसके बाद इस्राइल ने जवाबी कार्रवाई करने की धमकी दी थी। अमेरिका ने भी इस्राइल का समर्थन करने का एलान किया है।
ऐसे में अमेरिका और रुस की दुश्मनी को देखते हुए ईरान भी रूस के साथ अपने रिश्तों को मजबूत कर रहा है । लगातार दोनों देशों के शीर्ष netaon की मुलाक़ात ही रही है । ईरान इस रणनीति पर चल रहा है कि अगर युद्ध की स्थिति आयी है तो हथियारों की आपूर्ति की समस्या न रहे। गौरतलब है कि एक हफ्ते पहले ही रूस के प्रधानमंत्री ने भी ईरानी राष्ट्रपति पेजेश्कियान और उपराष्ट्रपति रेजा अरेफ से ईरान में मुलाकात की थी।