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Thursday, August 7, 2025

अन्तर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस: डीएम ने किया जागरूकता अभियान का शुभारंभ

हस्ताक्षर अभियान और रैली से गूंजा संदेश: “बचपन को दो पढ़ाई, मत छीनो उसकी मासूमियत”

लखीमपुर खीरी, 13 जून 2025: जिले में अन्तर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर बाल श्रम के खिलाफ जन-जागरूकता की अलख जगाने का सशक्त प्रयास हुआ। गुरुवार को जिलाधिकारी (डीएम) दुर्गा शक्ति नागपाल ने बाल श्रम निषेध सप्ताह (12 से 17 जून) के तहत जागरूकता अभियान का फीता काटकर विधिवत शुभारंभ किया।
डीएम ने हस्ताक्षर अभियान का उद्घाटन करते हुए अधिकारियों, बच्चों और नागरिकों से बाल श्रम के उन्मूलन के लिए एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा, “हर बच्चा किताबों का हकदार है, न कि काम की जिम्मेदारी का। समाज तभी प्रगतिशील होगा, जब हर बच्चे का बचपन सुरक्षित और शिक्षित होगा।”

उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष 12 जून को अन्तर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य बाल श्रम जैसी कुप्रथा के प्रति समाज को जागरूक करना और इसके उन्मूलन के लिए सरकारी प्रयासों में सहभागिता को प्रोत्साहित करना है। डीएम ने जोर देकर कहा कि प्रत्येक बच्चे को शिक्षा, सुरक्षा और बचपन का अक्षुण्ण अधिकार मिलना चाहिए।

बाल श्रम के खिलाफ रैली बनी आकर्षण का केंद्र

कार्यक्रम के तहत शहर में बाल श्रम के खिलाफ एक विशाल जन-जागरूकता रैली निकाली गई, जिसे डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने कलेक्ट्रेट परिसर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। रैली विलोबी मेमोरियल से होते हुए सदर चौराहे पर समाप्त हुई। इसमें स्कूली बच्चे, स्वयंसेवी संस्थाएं, सामाजिक कार्यकर्ता और नागरिक उत्साहपूर्वक शामिल हुए। नारों और बैनरों के माध्यम से “बचपन को दो पढ़ाई, मत छीनो उसकी मासूमियत” का संदेश जोर-शोर से गूंजा।

रैली में अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) अनिल कुमार रस्तोगी, उपजिलाधिकारी अमिता यादव, श्रम प्रवर्तन अधिकारी संतोष त्रिपाठी, प्रियंका वर्मा सहित जिला प्रशासन के कई अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।

बाल श्रम उन्मूलन के लिए प्रशासन सख्त, 140 मामलों का चिन्हांकन

श्रम प्रवर्तन अधिकारी संतोष त्रिपाठी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में श्रम विभाग, लखीमपुर खीरी ने बाल श्रम अधिनियम के तहत 106 स्थलों का निरीक्षण किया। इस दौरान 140 बाल श्रम के मामले चिन्हित किए गए, जिनमें 4 खतरनाक और 136 गैर-खतरनाक कार्य श्रेणी के थे। अब तक 80 मामलों में विधिक अभियोजन दर्ज किया जा चुका है।
प्रशासन ने 11 बच्चों का शैक्षिक पुनर्वासन सुनिश्चित किया, जबकि एक मामले में आर्थिक पुनर्वासन की कार्रवाई पूरी की गई। इसके अतिरिक्त, एक सेवायोजक से ₹20,000 की वसूली भी की गई। त्रिपाठी ने आश्वस्त किया कि बाल श्रम उन्मूलन के लिए जिला प्रशासन की निगरानी और कार्रवाई निरंतर जारी रहेगी।

सप्ताह भर चलेंगे जागरूकता कार्यक्रम

बाल श्रम निषेध सप्ताह के तहत 12 से 17 जून तक जिले में विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित होंगे। स्कूलों, ग्राम पंचायतों और बाजारों में नुक्कड़ नाटक, संग व कार्यशालाओं के माध्यम से लोगों को बाल श्रम के दुष्परिणामों और बच्चों के अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाएगा।

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