प्रयागराज, 7 अप्रैल 2025, सोमवार। प्रयागराज में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सबको स्तब्ध कर दिया। वाराणसी क्राइम ब्रांच में तैनात 52 वर्षीय इंस्पेक्टर तरुण पांडेय ने अपनी लाइसेंसी राइफल से सिर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली। यह घटना रविवार शाम करीब 5 बजे म्योर रोड स्थित उनके घर में हुई। कुछ दिनों से वह अकेले रह रहे थे, और उनकी जिंदगी का यह आखिरी कदम कई अनसुलझे सवाल छोड़ गया।
गोली की आवाज और मंजर
शाम ढलते ही एक तेज आवाज ने मोहल्ले की शांति को भंग कर दिया। गोली की गूंज सुनकर पड़ोसी दौड़े, लेकिन घर का गेट अंदर से बंद था। आवाज देने पर कोई जवाब नहीं मिला तो किसी ने फौरन 112 नंबर पर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने गेट फांदकर अंदर प्रवेश किया, जहां बेड पर तरुण पांडेय का खून से लथपथ शव पड़ा था। उनका आधा शरीर बेड पर था, पैर जमीन की ओर लटक रहे थे, और उनके पैरों के पास वही राइफल पड़ी थी, जिससे उन्होंने अपनी जिंदगी खत्म की। पास में बीयर की एक बोतल भी गिरी थी, और उनके हाथ में मोबाइल था। स्क्रीन पर वॉयस रिकॉर्डर ऑन था—शायद वह आखिरी संदेश छोड़ना चाहते थे, लेकिन क्या रिकॉर्ड हुआ, यह अभी रहस्य बना हुआ है।

दो गोलियां, एक दर्दनाक अंत
फोरेंसिक जांच ने घटना की भयावहता को और उजागर किया। पहली गोली मिस हो गई थी, लेकिन दूसरी गोली उनके गले के निचले हिस्से से सिर के ऊपरी हिस्से तक आर-पार हो गई और छत में जा लगी। छत का प्लास्टर उखड़ गया था। खून से सना चेहरा देखकर पहचानना मुश्किल था—गले में गोली लगने से उनकी आंखें तक बाहर निकल आई थीं। यह दृश्य किसी के भी रोंगटे खड़े कर दे।
बीमारी और अकेलापन
तरुण पांडेय लंबे समय से रीढ़ की हड्डी की बीमारी से जूझ रहे थे। उनका इलाज दिल्ली में चल रहा था। शनिवार को ही वह दिल्ली से प्रयागराज लौटे थे। उनकी पत्नी पूनम होली के समय से बेटे ईशान के पास बेंगलुरु में थीं, जबकि बेटी अंशु की शादी मार्च में हुई थी। रविवार रात अंशु अपने पति के साथ लखनऊ से प्रयागराज पहुंची, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उनके ड्राइवर सुनील यादव ने बताया कि 10 दिन पहले तरुण ने उन्हें छुट्टी दी थी और कहा था कि वह इलाज के लिए दिल्ली जा रहे हैं।
करियर में उतार-चढ़ाव
तरुण पांडेय वाराणसी क्राइम ब्रांच की विवेचना शाखा में तैनात थे। सितंबर 2024 में छुट्टी के बाद ड्यूटी पर नहीं लौटने के कारण उन्हें 12 सितंबर को सस्पेंड कर दिया गया था। 15 सितंबर को उन्होंने पुलिस लाइन में हाजिरी दी, और 20 नवंबर को निलंबन हटा लिया गया। इसके बावजूद वह ड्यूटी जॉइन नहीं कर पाए और गैरहाजिर रहे। क्या यह उनके मानसिक तनाव का कारण बना? यह सवाल जांच का हिस्सा है।
पुलिस की कार्रवाई
प्रयागराज DCP अभिषेक भारती ने बताया कि राइफल जब्त कर ली गई है और शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। परिवार को सूचना दे दी गई है। ACP कर्नलगंज राजीव यादव ने कहा कि मोबाइल को कब्जे में लेकर हर पहलू की जांच की जा रही है। आखिर क्या वजह थी कि तरुण ने यह कदम उठाया—बीमारी का दर्द, अकेलापन, या कुछ और? जवाब अभी पुलिस की जांच के भरोसे है।
एक परिवार का टूटता सपना
गोंडा जिले के बैजलपुर गांव के रहने वाले तरुण पांडेय का परिवार अब शोक में डूबा है। बेटी की शादी की खुशियां अभी ठंडी भी नहीं पड़ी थीं कि यह त्रासदी सामने आ गई। उनके आखिरी पल और अधूरी वॉयस रिकॉर्डिंग अब भी कई सवालों को हवा दे रही है। क्या वह अपने परिवार को कुछ कहना चाहते थे? यह रहस्य शायद कभी न खुले, लेकिन उनकी जिंदगी का यह दुखद अंत समाज में मानसिक स्वास्थ्य और अकेलेपन जैसे मुद्दों पर गंभीर सवाल जरूर खड़ा करता है।