इंदौर, 27 मार्च 2025, गुरुवार। इंदौर, मध्य प्रदेश का वह शहर जो अपनी स्वच्छता, संस्कृति और व्यापारिक पहचान के लिए जाना जाता है, अब अपनी ऐतिहासिक धरोहर को संजोने की दिशा में एक और कदम बढ़ा रहा है। जिस मंदिर के नाम से इस रियासत की नींव पड़ी, वह प्राचीन इंद्रेश्वर मंदिर अब नए युग में अपनी खोई हुई शान को पुनः प्राप्त करने जा रहा है। इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) ने इस मंदिर के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया है, और यह निर्णय हाल ही में आयोजित बोर्ड बैठक में लिया गया। इस पहल से न केवल इंदौर की सांस्कृतिक विरासत को बल मिलेगा, बल्कि यह शहर के पर्यटन मानचित्र पर भी एक नया अध्याय जोड़ेगा।
मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
इंद्रेश्वर मंदिर इंदौर के इतिहास का एक जीवंत प्रतीक है। कहा जाता है कि इसी मंदिर के नाम पर इंदौर रियासत का नामकरण हुआ था। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है, बल्कि यह उस गौरवशाली अतीत की याद भी दिलाता है, जब यह क्षेत्र संस्कृति और समृद्धि का संगम था। समय के साथ, उपेक्षा और अतिक्रमण के कारण इस मंदिर की भव्यता कहीं खो सी गई थी। लेकिन अब, इंदौर विकास प्राधिकरण की यह पहल इसे फिर से जीवंत करने का संकल्प लेती है।
जीर्णोद्धार की योजना
आईडीए के अध्यक्ष और संभाग आयुक्त दीपक सिंह ने बताया कि इंद्रेश्वर मंदिर का विकास गोपाल मंदिर की तर्ज पर किया जाएगा। गोपाल मंदिर, जो इंदौर में अपनी भव्यता और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, एक प्रेरणा स्रोत के रूप में काम करेगा। इस योजना के तहत मंदिर परिसर को नया स्वरूप दिया जाएगा, जिसमें मंदिर के आसपास फैले अतिक्रमण को हटाना प्राथमिकता होगी। इसके लिए प्राधिकरण ने पहले ही मंदिर परिसर का सर्वेक्षण पूरा कर लिया है, जिससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि विकास कार्य व्यवस्थित और प्रभावी ढंग से हो।
अतिक्रमण हटाने की चुनौती
मंदिर के आसपास फैला अतिक्रमण इस परियोजना की सबसे बड़ी चुनौती है। वर्षों से अनियोजित निर्माण और अवैध कब्जों ने मंदिर की मूल संरचना को घेर लिया है। इसे हटाने का कार्य न केवल तकनीकी रूप से जटिल है, बल्कि सामाजिक संवेदनशीलता को भी ध्यान में रखना होगा। फिर भी, प्राधिकरण का यह दृढ़ संकल्प कि मंदिर को उसका पुराना वैभव लौटाया जाए, इस चुनौती को पार करने की उम्मीद जगाता है।
इंदौर के लिए नई पहचान
यह परियोजना केवल मंदिर के जीर्णोद्धार तक सीमित नहीं है; यह इंदौर की सांस्कृतिक और पर्यटन क्षमता को बढ़ाने का एक सुनहरा अवसर भी है। एक बार जब इंद्रेश्वर मंदिर अपनी पूरी भव्यता के साथ सामने आएगा, तो यह निश्चित रूप से श्रद्धालुओं और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। यह मंदिर इंदौर की उस पहचान को मजबूत करेगा, जो आधुनिकता और परंपरा के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए जानी जाती है।
इंद्रेश्वर मंदिर का जीर्णोद्धार इंदौर के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह न केवल शहर की धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक प्रयास है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़े रखने का संदेश भी है। इंदौर विकास प्राधिकरण की यह पहल इस बात का प्रमाण है कि विकास और विरासत का संगम संभव है। जैसे-जैसे यह मंदिर अपने नए स्वरूप में उभरेगा, यह इंदौर की शान को और बढ़ाएगा, और हमें याद दिलाएगा कि हमारा अतीत ही हमारी असली ताकत है।