नई दिल्ली, 9 मई 2025, शुक्रवार। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। हाल के दिनों में पाकिस्तान की ओर से बार-बार ड्रोन हमलों और सीमा पर उकसावे की कार्रवाइयों के बाद भारत ने न केवल सैन्य ताकत से, बल्कि कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर भी करारा जवाब देना शुरू कर दिया है। इस बीच, भारत ने चिनाब नदी पर बने सलाल बांध के तीन गेट और बगलिहार जलविद्युत परियोजना के एक गेट को खोल दिया है, जिससे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है।
यह कदम भारत की जल संसाधन नीति और राष्ट्रीय हितों को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा संदेश है। जलशक्ति मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि भारत अपने जल संसाधनों का उपयोग संप्रभु और न्यायसंगत तरीके से करेगा। यह कदम अंतरराष्ट्रीय संधियों की समीक्षा की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है। गौरतलब है कि भारत ने पहले चिनाब नदी के जल स्तर को नियंत्रित करने के लिए सलाल और बगलिहार बांध के सभी गेट बंद कर दिए थे, लेकिन समुद्री जीव-जंतुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम जल प्रवाह बनाए रखा था।
अब गेट खोलने से पीओके और पाकिस्तान के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। इससे पाकिस्तानी नागरिकों में बेचैनी है, और वे अपनी सरकार से सवाल पूछ रहे हैं। भारत का यह कदम न केवल तकनीकी रूप से मजबूत है, बल्कि यह पाकिस्तान पर मनोवैज्ञानिक और आर्थिक दबाव भी बनाता है, क्योंकि बाढ़ की स्थिति से वहां की जनता और अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी।
इस बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 1960 की सिंधु जल संधि को ऐतिहासिक भूल करार देते हुए कहा कि इसने भारत की नदियों का 80% पानी पाकिस्तान को दे दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब भारत अपनी नदियों के पानी का हर बूंद अपने किसानों, बिजली उत्पादन और विकास के लिए उपयोग करेगा। इससे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के किसानों को सिंचाई के लिए अधिक पानी मिलेगा।
भारत का यह रुख न केवल उसकी संप्रभुता और आत्मनिर्भरता को दर्शाता है, बल्कि पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देता है कि किसी भी उकसावे का जवाब हर मोर्चे पर मिलेगा।