नई दिल्ली, 29 नवंबर 2024, शुक्रवार। भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए रूस के साथ मिलकर काम कर रहा है। इसका मकसद फाइटर जेट्स के लिए विदेशों पर निर्भरता कम करना है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सीएमडी डीके सुनील रूस के दौरे पर हैं और सुखोई विमानों के लिए संयुक्त रूप से इंजन बनाने की संभावनाएं तलाश रहे हैं। इस समझौते के तहत सुखोई-30MKI बेड़े में उपयोग किए जाने वाले एएल-31FP इंजन का निर्माण भारत में किया जाएगा। यह पहल स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और विदेशी टेक्नोलॉजी पर निर्भरता को कम करने की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है।
भारत सरकार ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाया है जिससे भारतीय वायु सेना की क्षमता में वृद्धि होगी। सरकार ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ 26 हजार करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं जिसके तहत 240 AL-31FP इंजनों की खरीद की जाएगी। इन इंजनों का उपयोग सुखोई-30MKI लड़ाकू विमानों में किया जाएगा जो भारतीय वायु सेना के बेड़े का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इस सौदे का मकसद भारतीय वायु सेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाना है और रूसी कंपोनेंट्स पर निर्भरता को कम करना है।
एचएएल ने उत्पादन के दौरान इन इंजनों की स्वदेशी कंटेंट को 54% से बढ़ाकर 63% करने की योजना बनाई है। यह कदम भारतीय वायु सेना की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में मदद करेगा। इंजनों का निर्माण ओडिशा में HAL की कोरापुट फैसिलिटी में किया जाएगा और कुछ कंपोनेंट्स अभी रूस से मंगाए जाएंगे। यह सौदा भारतीय वायु सेना की क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगा और भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा।
भारत और रूस के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता होने वाला है, जिसमें सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के लिए नए इंजनों की खरीद शामिल है। इसके अलावा, दोनों देश एक ज्वाइंट प्रोडक्शन वेंचर पर भी चर्चा कर रहे हैं, जिसमें टेक्नोलॉजी ट्रांसफर भी शामिल हो सकता है। एचएएल 65 हजार करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर पूरे सुखोई-30 बेड़े को अपग्रेड करने के लिए भी तैयार है। फाइटर जेट्स के इंजनों की आवश्यकता उनके कार्यकाल के दौरान होती है, जो आमतौर पर 30 से 40 साल तक का होता है। इस बीच इंजनों को दो से तीन बार बदला जाता है।
भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के लिए नए इंजनों की ज़रूरत है, जिसके लिए रक्षा मंत्रालय ने AL31FP इंजन खरीदने का फैसला किया है। तेजस विमान के लिए अमेरिका से इंजन आने में इस साल हुई देरी के बाद भारत भविष्य में फाइटर जेट्स के इंजनों को लेकर विदेशों पर अपनी निर्भरता समाप्त करना चाहता है। भारत को अपनी वायु सेवा और नौसेना के फाइटर जेट के लिए अगले एक दशक में 1000 से ज्यादा इंजन की आवश्यकता होगी, जिनमें से ज्यादातर विमान भारत में ही बनाए जाएंगे।