नई दिल्ली, 2 जून 2025, सोमवार: हाल ही में यूक्रेन द्वारा रूस के एक एयरबेस पर किए गए ड्रोन हमले ने वैश्विक सुरक्षा विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है। इस हमले ने यह स्पष्ट कर दिया कि आधुनिक युद्ध में ड्रोन जैसे हथियार कितने घातक हो सकते हैं, खासकर जब वे दुश्मन के अपने क्षेत्र से संचालित हों। रूस को यह नुकसान इसलिए झेलना पड़ा क्योंकि उसके पास प्रभावी काउंटर UAS (Unmanned Aerial System) प्रणाली का अभाव था। दूसरी ओर, भारत ने इस क्षेत्र में पहले से ही मजबूत कदम उठाए हैं, जो इसे ऐसी चुनौतियों से सुरक्षित रखते हैं।
रूस पर हमला और उसका सबक
यूक्रेन ने पिछले 18 महीनों से रूस के भीतर मौजूद गद्दारों की मदद से ड्रोन्स को गुप्त स्थानों पर छिपाकर रखा था। समय आने पर इन्हें रूस के अंदर से ही लॉन्च कर एयरबेस को निशाना बनाया गया। इसे ‘0.5 मोर्चा’ कहा जा रहा है, यानी आंतरिक विश्वासघात और बाहरी हमले का संयोजन। रूस के पास ऐसी प्रणालियों का अभाव था, जो इन ड्रोन्स को जैम कर गिरा सकें या लेजर तकनीक से नष्ट कर सकें। नतीजा, भारी नुकसान।
भारत की ताकत: काउंटर UAS प्रणाली
भारत ने पिछले 6-7 वर्षों में अपनी सैन्य तैयारियों को मजबूत करते हुए ऐसी काउंटर UAS प्रणालियां विकसित की हैं, जो ड्रोन हमलों से निपटने में सक्षम हैं। ये प्रणालियां ड्रोन्स को जैम करने, उनकी नेविगेशन प्रणाली को बाधित करने और लेजर तकनीक से उन्हें नष्ट करने में सक्षम हैं। भारत के सभी प्रमुख एयरबेस, सैन्य ठिकाने, सैनिक छावनियां और एयरफील्ड इन प्रणालियों से लैस हैं।
भारत में भी ‘0.5 मोर्चे’ का खतरा मौजूद है, जहां पाकिस्तानी जासूसों और गद्दारों के पकड़े जाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। लेकिन भारत की सतर्कता और उन्नत रक्षा प्रणालियों ने इसे ऐसे हमलों से सुरक्षित रखा है।
भारत की दूरदर्शिता
रूस पर हुए इस हमले ने दुनिया को चौंकाया है। कई देश अब यूक्रेन की इस रणनीति को अपने लिए खतरा मान रहे हैं और भविष्य में ऐसे हमलों से निपटने की तैयारी में जुट गए हैं। लेकिन भारत इस मामले में पहले से तैयार है। न केवल भारत ने मौजूदा काउंटर UAS प्रणालियों को तैनात किया है, बल्कि नई और उन्नत प्रणालियों का विकास भी कर रहा है, जिनमें से कुछ को सेना में शामिल किया जा रहा है।