वाराणसी, 18 मई 2025, रविवार: भारत की पवित्र नगरी वाराणसी में आज एक ऐतिहासिक नागरिक आंदोलन ने जन्म लिया, जिसमें हजारों लोगों ने एक स्वर में तुर्किये और पाकिस्तान के खिलाफ पूर्ण आर्थिक व सामाजिक बहिष्कार का संकल्प लिया। विशाल भारत संस्थान के नेतृत्व में लमही के नेताजी सुभाष मंदिर से निकली विशाल “शव यात्रा” ने तुर्किये और पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के लिए प्रतीकात्मक रूप से “मृत” घोषित किया। इस यात्रा में हिंदू, मुस्लिम और अन्य समुदायों के लोग कंधे से कंधा मिलाकर चले, जो भारत की एकता और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ निश्चय का प्रतीक बना।

तुर्किये की कृतघ्नता और ऐतिहासिक अन्याय
जब तुर्किये में भूकंप ने तबाही मचाई थी, भारत ने मानवता का परिचय देते हुए राशन, दवाइयाँ और सहायता भेजकर हजारों जिंदगियाँ बचाईं। लेकिन बदले में तुर्किये ने भारत के खिलाफ घातक ड्रोन भेजे और पाकिस्तानी आतंकवादियों का खुला समर्थन किया। इतिहास भी तुर्कों के अत्याचारों का गवाह है—1192 में भारत पर आक्रमण, मंदिरों का विध्वंस, लाखों लोगों का नरसंहार और नस्लीय भेदभाव। सुल्तान बलबन जैसे शासकों ने खुलकर भारतीयों के प्रति घृणा जताई थी। आज भी तुर्किये पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के खिलाफ साजिश रच रहा है।

नागरिकों का स्वतःस्फूर्त आह्वान
इस विश्वासघात से आहत भारत के नागरिकों ने तुर्किये और पाकिस्तान से हर तरह का संबंध तोड़ने का फैसला किया है। यह कोई सरकारी आदेश नहीं, बल्कि जनता का स्वतःस्फूर्त “नागरिक चार्टर” है। विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव श्रीगुरुजी ने कहा, “जिन लोगों की जान बचाने के लिए भारत ने अनाज और दवाइयाँ भेजीं, वही तुर्की आज पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत को तबाह करना चाहता है। ऐसे देशों से कोई रिश्ता नहीं रखा जाएगा।”

जौनपुर के जिला चेयरमैन नौशाद अहमद दूबे ने तुर्किये को “धोखेबाज” करार देते हुए कहा, “इनकी फितरत में ही विश्वासघात है। इनसे कोई संबंध नहीं रखा जाएगा।” डॉ. नजमा परवीन ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “पाकिस्तान का दाना-पानी बंद होगा और तुर्किये को भी करारा जवाब मिलेगा।”
शव यात्रा में दिखी अभूतपूर्व एकता
शव यात्रा में मुस्लिम धर्मगुरु अफसर बाबा और शहाबुद्दीन तिवारी जैसे लोग सबसे आगे थे, जो हड़िया लेकर पाकिस्तान और तुर्किये के “अंतिम संस्कार” का प्रतीक बनाए हुए थे। अफरोज पाण्डेय, लियाकत अली, नौशाद दूबे जैसे कार्यकर्ताओं ने कहा, “आतंकवाद का साथ देने वाले देशों की आत्मा मर चुकी है। यह शव यात्रा उनकी नैतिक मृत्यु का प्रतीक है।” भीड़ में “पाकिस्तान मुर्दाबाद” और “तुर्किये मुर्दाबाद” के नारे गूंज रहे थे।

इस आंदोलन में शामिल डॉ. अर्चना भारतवंशी, अब्दुर्रहमान, समीर खान, पूनम, मयंक श्रीवास्तव जैसे लोग न केवल तुर्क और पाकिस्तान का बहिष्कार कर रहे हैं, बल्कि देशवासियों से भी अपील कर रहे हैं कि वे इन देशों के किसी भी उत्पाद को न खरीदें, वहाँ यात्रा न करें और उनके साथ किसी भी तरह का व्यापारिक या सामाजिक संबंध न रखें।
देशभक्ति का ज्वार: प्रणाम् वन्देमातरम् समिति का तुर्की, पाकिस्तान, चीन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
दूसरी ओर, वाराणसी के नई सड़क, गीता मंदिर गेट पर प्रणाम् वन्देमातरम् समिति के अध्यक्ष अनूप जायसवाल के नेतृत्व में रविवार को जोरदार विरोध प्रदर्शन हुआ। देश और सेना के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम में सैकड़ों देशभक्तों ने तुर्की, पाकिस्तान, चीन और अज़रबैजान के खिलाफ पुतला दहन कर नारेबाजी की। “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम्” के नारों से वातावरण गूंज उठा। समिति ने तुर्की से व्यापारिक संबंध खत्म करने, पर्यटन बहिष्कार और आर्थिक जवाब देने की मांग की। जायसवाल ने कहा, “भारत अब कूटनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर विरोधियों को करारा जवाब देगा।”