नई दिल्ली, 22 जून 2025: आज का दिन खगोलीय और ऐतिहासिक दोनों दृष्टियों से भारत के लिए विशेष है। 22 जून, जब सूर्य उत्तरी गोलार्ध में अपने चरम पर होता है और दिन सबसे लंबा होता है, न केवल उत्तरायण का अंतिम दिन है, बल्कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इसी दिन 2016 में अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराकर इसे अविस्मरणीय बना दिया था।
22 जून 2016 को इसरो ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी34 रॉकेट के जरिए एक साथ 20 उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया था। इस अभियान में भारत के कार्टोसैट-2 शृंखला के उपग्रह के साथ-साथ अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली, कनाडा और इंडोनेशिया के उपग्रह भी शामिल थे। यह भारत का उस समय तक का सबसे बड़ा मल्टी-सैटेलाइट लॉन्च मिशन था, जिसने इसरो की तकनीकी सटीकता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती साख को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया।
इस उपलब्धि ने न केवल भारत की अंतरिक्ष क्षमता को वैश्विक मंच पर स्थापित किया, बल्कि यह भी साबित किया कि भारत अपनी प्रतिभा और दृढ़ संकल्प के बल पर हर लक्ष्य हासिल कर सकता है। इस गौरवशाली दिन की स्मृति में सभी भारतवासियों को हार्दिक बधाई!
इसरो की इस ऐतिहासिक सफलता ने देश को गर्व का एक और अवसर प्रदान किया है, और यह दिन भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान के स्वर्णिम अध्याय के रूप में हमेशा याद किया जाएगा।