नई दिल्ली, 6 अप्रैल 2025, रविवार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में रामनवमी के शुभ अवसर पर देश को एक अनमोल तोहफा दिया—एशिया का पहला वर्टिकल लिफ्ट पंबन रेलवे ब्रिज। यह नया ब्रिज न केवल तकनीक का चमत्कार है, बल्कि भारत की इंजीनियरिंग क्षमता का एक जीता-जागता प्रमाण भी है। 1914 में बने पुराने पंबन ब्रिज की जगह लेते हुए यह आधुनिक संरचना रामेश्वरम और धनुषकोडी को फिर से रेल नेटवर्क से जोड़ेगी, जिससे व्यापार और पर्यटन को नई उड़ान मिलेगी।
इस ऐतिहासिक घटना को और करीब से समझने के लिए वरिष्ठ पत्रकार अनिता चौधरी ने रेलवे प्रवक्ता दिलीप कुमार से खास बातचीत की। दिलीप कुमार ने गर्व से बताया कि यह 2.08 किलोमीटर लंबा ब्रिज 21वीं सदी की इंजीनियरिंग का शानदार नमूना है। पुराने ब्रिज से 3 मीटर ऊंचा यह नया ढांचा 99 स्पैन और एक 72.5 मीटर लंबे वर्टिकल लिफ्ट स्पैन के साथ तैयार किया गया है, जो 17 मीटर तक उठ सकता है। यह खासियत बड़े जहाजों को आसानी से गुजरने की सुविधा देती है, साथ ही दोहरी रेल पटरियों के साथ वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेनों के संचालन को भी संभव बनाती है।
तकनीक और सुरक्षा का अनूठा संगम
दिलीप कुमार ने बताया कि 2019 में नींव रखे गए इस ब्रिज को ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत बनाया गया है, जो अगले 100 साल तक सुरक्षित रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। पुराने ब्रिज को खोलने में 45 मिनट से एक घंटा लगता था, लेकिन नए ब्रिज का वर्टिकल लिफ्ट महज 5 मिनट में खुल जाता है और 3 मिनट में बंद हो जाता है। यह पूरी तरह ऑटोमैटिक सिस्टम से संचालित है, जिसमें इलेक्ट्रो-मैकेनिकल तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।
समुद्र के बीच बसा यह ब्रिज 6,790 फीट लंबा है और इसके 100 मेहराब इसे अनोखा बनाते हैं। खास बात यह है कि इसे समुद्री हवाओं की चुनौती को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। जब हवा की रफ्तार 50 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक होगी, तो सिग्नल सिस्टम अपने आप ट्रेनों की आवाजाही रोक देगा। इसके अलावा, सामरिक सुरक्षा के लिए ब्रिज के चारों ओर हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरे और एक कमांड सेंटर स्थापित किया गया है, जहां से हर गतिविधि पर नजर रखी जाएगी।
भारतीय इंजीनियरिंग का गौरव
दिलीप कुमार ने गर्व से कहा कि यह ब्रिज वैश्विक मंच पर भारत की इंजीनियरिंग का परचम लहराता है। रामनाथपुरम के पास चतराकुडी रेलवे स्टेशन पर बने वर्कशॉप में इसके सभी हिस्सों का निर्माण हुआ है। 333 पाइल और 101 पाइल कैप की मजबूत नींव पर खड़ा यह ब्रिज हाई-ग्रेड स्टील और प्रबलित कंक्रीट से बना है, जो समुद्री वातावरण में जंग से बचाव और लंबी उम्र सुनिश्चित करता है।
यात्रा और व्यापार का नया अध्याय
नया पंबन ब्रिज न केवल तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह रामेश्वरम जैसे पवित्र स्थल को मुख्य भूमि से जोड़कर आर्थिक और सांस्कृतिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। अनिता चौधरी के एक सवाल के जवाब में दिलीप कुमार ने कहा, “यह ब्रिज भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। दो ट्रैकों के साथ यह बढ़ते रेल यातायात को संभालने में सक्षम होगा।”
भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज, नया पंबन रेलवे ब्रिज, सिर्फ एक संरचना नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की भावना का प्रतीक है। यह तकनीक, सुरक्षा और सुविधा का ऐसा संगम है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा। जैसा कि दिलीप कुमार ने कहा, “यह ब्रिज भारतीय इंजीनियरिंग का वह रत्न है, जो विश्व पटल पर चमक रहा है।”