नई दिल्ली, 5 मई 2025, सोमवार। भारतीय नौसेना ने समुद्री युद्ध के मैदान में एक और शक्तिशाली कदम बढ़ाया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भारतीय नौसेना के साथ मिलकर स्वदेशी मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MIGM) का सफल परीक्षण किया है। यह अत्याधुनिक अंडरवाटर माइन दुश्मन की स्टील्थ तकनीक से लैस पनडुब्बियों और जहाजों को चुपके से खोजकर नष्ट करने की अद्भुत क्षमता रखती है। यह उपलब्धि न केवल भारत की तकनीकी ताकत का प्रतीक है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक भी है।
पाकिस्तान और चीन की चालों का जवाब
पाकिस्तान ने हाल के वर्षों में कराची और ग्वादर बंदरगाहों के आसपास अपनी समुद्री गतिविधियों को तेज किया है। चीन से प्राप्त स्टील्थ पनडुब्बियों और मानवरहित समुद्री ड्रोनों के साथ वह अरब सागर में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। ऐसे में MIGM का विकास भारत के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यह प्रणाली अरब सागर के संवेदनशील समुद्री गलियारों और रणनीतिक चोक पॉइंट्स पर निगरानी और रक्षा को अभेद्य बनाएगी। यह न केवल रक्षा का हथियार है, बल्कि दुश्मन के लिए एक सशक्त चेतावनी भी।
MIGM की खासियतें: स्मार्ट, स्टील्थ, और शक्तिशाली
MIGM प्रणाली को भारतीय नौसेना की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया गया है। इसकी कुछ खास विशेषताएं इसे समुद्री युद्ध में बेजोड़ बनाती हैं:
मल्टी-इन्फ्लुएंस सेंसर: यह माइन मैग्नेटिक, ध्वनिक, और दबाव आधारित सेंसरों का उपयोग करती है, जो स्टील्थ तकनीक वाले लक्ष्यों को भी सटीकता से पकड़ लेती है।
गुप्त तैनाती: समुद्र की गहराइयों में बिना किसी को भनक लगे इसे तैनात किया जा सकता है, और यह स्वचालित रूप से सक्रिय होती है।
स्मार्ट ट्रिगर सिस्टम: यह तब तक निष्क्रिय रहती है, जब तक लक्ष्य इसकी सभी शर्तों को पूरा न करे, जिससे गलत विस्फोट की संभावना शून्य हो।
लंबी उम्र, कम रखरखाव: यह माइन लंबे समय तक समुद्र में निष्क्रिय रह सकती है और जरूरत पड़ने पर तुरंत सक्रिय हो जाती है।
तटीय सुरक्षा के लिए आदर्श: बंदरगाहों, तटीय क्षेत्रों, और सामरिक स्थानों की सुरक्षा के लिए यह प्रणाली अचूक है।
स्वदेशी तकनीक का कमाल
विशाखापट्टनम की नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला (NSTL) ने DRDO की पुणे और चंडीगढ़ स्थित प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर इस प्रणाली को विकसित किया है। भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) और अपोलो माइक्रोसिस्टम्स लिमिटेड जैसे उद्योगों की भागीदारी ने इसे उत्पादन के लिए तैयार किया है। यह परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ की भावना को मजबूत करती है और भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक की बढ़ती ताकत को दर्शाती है।
रक्षा मंत्री की बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि पर DRDO, भारतीय नौसेना, और उद्योग जगत को बधाई दी। उन्होंने कहा, “MIGM प्रणाली भारतीय नौसेना की अंडरवाटर युद्ध क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। यह स्वदेशी तकनीक का एक शानदार उदाहरण है, जो हमारी समुद्री सीमाओं को और सुरक्षित बनाएगी।”
नया भारत, नई ताकत
MIGM का सफल परीक्षण भारतीय नौसेना को न केवल तकनीकी बढ़त देता है, बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह प्रणाली दुश्मन की हर चाल को नाकाम करने का दम रखती है, चाहे वह पाकिस्तान की गुप्त समुद्री गतिविधियां हों या चीन की रणनीतिक साझेदारियां। भारत अब समुद्र की गहराइयों में भी अपनी ताकत का लोहा मनवाने को तैयार है।
MIGM के साथ भारतीय नौसेना की यह नई ताकत न सिर्फ रक्षा की गारंटी है, बल्कि एक सशक्त संदेश भी—भारत की सीमाएं अभेद्य हैं, और हम हर चुनौती के लिए तैयार हैं!