नई दिल्ली, 20 जून 2025, शुक्रवार: भारतीय सेना, भारतीय राजनयिक मिशनों और सांस्कृतिक केंद्रों के सहयोग से, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (IDY) 2025 को विश्व भर में उत्साह और समर्पण के साथ मना रही है। 21 जून को होने वाले मुख्य आयोजन से पहले, सेना ने स्वास्थ्य, सद्भाव और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न देशों में योग सत्रों का आयोजन शुरू कर दिया है। यह पहल भारत की वैदिक नीति वासुदेव कुटुंबकम और सर्वे भवंतु सुखिनः, सर्वे संतु निरामयः के भाव को सार्थक करती है।

म्यांमार में योग का उत्साह
म्यांमार की रक्षा सेवा अकादमी (DSA) में 19 जून को शाम 4 से 5 बजे तक आयोजित योग सत्र में स्नातकोत्तर और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के सभी छात्रों ने हिस्सा लिया। इस जीवंत सत्र में 45 बर्मी अधिकारियों की भागीदारी ने इसे और आकर्षक बनाया। कार्यक्रम में शारीरिक फिटनेस, मानसिक लचीलापन और आंतरिक शांति को बढ़ाने में योग की भूमिका पर विशेष जोर दिया गया।
कजाकिस्तान में योग की नई पहल
कजाकिस्तान के अस्ताना में भारतीय सेना प्रशिक्षण दल (IATT) ने स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र के साथ मिलकर 19 जून को राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में एक विशेष योग सत्र का आयोजन किया। इस सत्र ने कजाक सशस्त्र बलों को योग से परिचित कराया और तनाव व जीवनशैली से जुड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों को कम करने में इसकी प्रभावशीलता पर प्रकाश डाला। समग्र कल्याण के लिए योग की उपयोगिता भी इस आयोजन का प्रमुख बिंदु रहा।

उज्बेकिस्तान में राष्ट्रीय स्तर पर योग
ताशकंद, उज्बेकिस्तान में भारतीय दूतावास के तत्वावधान में योग को राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में मनाया जा रहा है। लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र (LBSCIC) और IATT के संयुक्त प्रयासों से राजदूत के मार्गदर्शन में यह आयोजन हो रहा है। इसमें सरकार, रक्षा मंत्रालय, सशस्त्र बल अकादमी और नागरिक संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल हैं। LBSCIC के प्रशिक्षित योग प्रशिक्षकों ने ताशकंद में विभिन्न योग मॉड्यूल आयोजित किए, जिनमें मित्र देशों के प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी देखी गई।

वैश्विक एकता का संदेश
भारतीय सेना की यह वैश्विक पहल न केवल योग के स्वास्थ्य लाभों को बढ़ावा दे रही है, बल्कि एकता और साझा मूल्यों की संस्कृति को भी प्रोत्साहित कर रही है। संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के तहत सक्रिय भारतीय सेना योग के माध्यम से जागरूकता और वैश्विक कल्याण को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह अभियान भारत की सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक शांति के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।