नई दिल्ली, 5 अगस्त 2025: मई 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना द्वारा संचालित ऑपरेशन सिंदूर ने न केवल भारत की सैन्य ताकत और रणनीतिक क्षमता को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य के युद्धों में ड्रोन और मानव रहित हवाई वाहन (UAV) की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। इस ऑपरेशन से मिले अनुभवों के आधार पर भारतीय सेना अब अपनी बटालियनों को और अधिक आधुनिक और तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। सूत्रों के अनुसार, सेना अब हर बटालियन के स्तर पर UAV, ड्रोन और ड्रोन-रोधी प्रणालियों को शामिल करने की योजना पर काम कर रही है, जिससे युद्धक्षेत्र में उसकी मारक क्षमता और निगरानी की ताकत में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
हर बटालियन में बनेगी ड्रोन संचालन के लिए समर्पित टीम
सेना द्वारा बनाए जा रहे नए सिस्टम के तहत प्रत्येक बटालियन में ड्रोन और UAV से संबंधित विभिन्न प्रणालियों को संचालित करने के लिए विशेष टीमें गठित की जाएंगी। ये टीमें पूरी तरह से ड्रोन संचालन, निगरानी और ड्रोन-रोधी उपायों के लिए समर्पित होंगी। इन चुनिंदा जवानों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, ताकि वे इन प्रणालियों को प्रभावी ढंग से संचालित कर सकें। उदाहरण के लिए, पैदल सेना (इन्फेंट्री) में प्लाटून और कंपनी स्तर पर निगरानी ड्रोन को शामिल करने की योजना है, जबकि बख्तरबंद और तोपखाना रेजिमेंट में ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम को सामान्य हथियार के रूप में एकीकृत किया जाएगा।
ऑपरेशन सिंदूर: ड्रोन की ताकत का प्रदर्शन
ऑपरेशन सिंदूर में स्वदेशी ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने न केवल पाकिस्तान के तुर्की निर्मित Bayraktar TB2 ड्रोन को निष्क्रिय किया, बल्कि स्वदेशी कामिकेज ड्रोन और लॉइटरिंग म्यूनिशन का उपयोग कर आतंकी ठिकानों को सटीकता से नष्ट किया। आकाशतीर एयर डिफेंस सिस्टम ने 300-400 ड्रोनों को हवा में ही निष्क्रिय कर 100% इंटरसेप्शन रेट हासिल किया, जिसने भारत की तकनीकी श्रेष्ठता को रेखांकित किया।
नई कमांडो बटालियन और एकीकृत ब्रिगेड
सेना की रणनीति में बदलाव के तहत 30 नई हल्की कमांडो बटालियनों का गठन किया जाएगा, जिन्हें ‘भैरव’ नाम दिया गया है। प्रत्येक बटालियन में लगभग 250 जवान होंगे, जो विशेष अभियानों के लिए प्रशिक्षित होंगे और ड्रोन प्रणालियों से लैस होंगे। इसके अलावा, ‘रुद्र ब्रिगेड’ के रूप में एकीकृत ब्रिगेड की स्थापना की जाएगी, जिसमें ड्रोन, UAV और अन्य सैन्य उपकरणों के साथ ऑल-आर्म्स ब्रिगेड शामिल होगी। ये ब्रिगेड पारंपरिक और हाइब्रिड युद्धों के लिए तैयार की जाएंगी।
स्वदेशी ड्रोन और आत्मनिर्भरता की ओर कदम
ऑपरेशन सिंदूर में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स, अल्फा डिजाइन, आइडिया फोर्ज और न्यूस्पेस रिसर्च जैसी निजी कंपनियों द्वारा निर्मित स्वदेशी ड्रोन जैसे स्विच UAV, नेट्रा V2, और स्काईस्ट्राइकर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। DRDO द्वारा विकसित ULPGM-V3 मिसाइल, जो ड्रोन से लॉन्च की जा सकती है, ने भी अपनी सटीकता का प्रदर्शन किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे भारत की सैन्य क्षमता के लिए “बड़ा बूस्ट” बताया। यह कदम आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मजबूत कदम है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहा है।
भविष्य की युद्ध रणनीति
ऑपरेशन सिंदूर ने साबित किया कि आधुनिक युद्ध तकनीक और सूचना पर आधारित हैं। इसरो के RISAT और Cartosat सैटेलाइट्स ने ऑपरेशन के दौरान रियल-टाइम इंटेलिजेंस प्रदान की, जिससे सटीक हमले संभव हुए। सेना अब ड्रोन मरम्मत क्षमताओं को बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स कोर (EME) का गठन करेगी और UAV की नियमित खरीद के लिए आपूर्ति श्रृंखला विकसित करेगी।